अफगानिस्तान संकटः कुटनीतिक प्रयासों से भारत ने दो दिनों में निकाले 650 से अधिक नागरिक, ओआईसी ने कहा-दोबाारा आतंकवाद न पनपने दें

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-08-2021
अफगानिस्तान संकट
अफगानिस्तान संकट

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली / जेद्दाह

भारत का कूटनीतिक प्रयास रंग ला रहा है. पिछले दो दिनों में भारत , अफगानिस्तान में फंसे करीब 650 लोगों को देश में लाने में सफल रहा. इसमें भारतीयों के अलावा अफगान नागरिक एवं वहां का अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदाय भी है. अनुमान है कि वहां करीब एक हजार लोग और फंसे हो सकते हैं.
 
इसके लिए भारत सरकार ने सभी लोगों को अफगानिस्तान से निकालने तक रोजाना दो उड़ाने की व्यवस्था की है. इस बीच, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के 57 सदस्यीय संगठन ने हंगामी बैठक कर अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की. युद्धग्रस्त देश छोड़ने के इच्छुक नागरिकों की सुरक्षित निकासी की सुविधा में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय से बिरादरी से अपील की गई कि वहां किसी तरह दोबारा आतंकवादी संगठन न पनपने दें.
 
हालांकि, मौजूदा स्थिति में अफगानिस्तान में फंसे लोगों को निकालना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. एक तो काबुल हवाई अड्डा अमेरिकियों के नियंत्रण में है. दूसरे एयर पोर्ट तक पहुंचना और फिर उसके अंदर दाखिल होना एक तरह से असंभव सा  है. एयर पोर्ट के आसपास तालिबानी लड़ाके पहरा दे रहे हैं. बताते हैं कि पहली बार भारत को वहां से अपने नागरिकों को निकालने के लिए मित्र देशों की मदद लेनी पड़ी थी. अब बहुत हद तक अपने प्रयास से भारतीयों को निकाला जा रहा है.
 
इस बीच, ओआईसी ने रविवार को हंगामी मिटिंग करके अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा किया। एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में ओआईसी के महासचिव डॉ युसेफ अल-ओथैमीन ने सत्तारूढ़ शासन (तालिबान) से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और जीवन और सुरक्षा के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह किया.
 
बैठक में सभी पक्षों से अफगान लोगों के हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने, हिंसा को त्यागने और पूरे अफगान समाज में सुरक्षा और नागरिक व्यवस्था को तत्काल बहाल करने और स्थिरता, सभ्यता के लिए अफगान लोगों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए स्थायी शांति स्थापित करने का आग्रह किया.
 
ओआईसी नें कहा है, ‘‘बैठक में सुरक्षित निकासी अभियानों को सुविधाजनक बनाने में सहयोग को रेखांकित किया. इस बात को रेखांकित किया गया कि अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक नागरिकों को ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.‘‘
 
सदस्यों ने अपने देश के भविष्य के लिए अफगानिस्तान के प्रतिनिधि, सभी अफगान दलों के बीच समावेशी वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया.उन्होंने देश में मौजूदा स्थिति के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों और शरणार्थियों के बढ़ते प्रवाह के कारण अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति के बिगड़ने पर गंभीर चिंता व्यक्त की.
 
बैठक में भविष्य के अफगान नेतृत्व और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अफगानिस्तान को फिर से आतंकवादियों के लिए एक मंच या पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल न किया जाए. आतंकवादी संगठनों को वहां पैर जमाने की अनुमति न दी जाए.
 
इस्लामिक राष्ट्रों ने भी शांतिपूर्ण तरीकों से अंतर-अफगान मतभेदों को हल करने की आवश्यकता को रेखांकित किया.