अफगान के राष्ट्रपति ने पहली बार अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 13-02-2021
अफगान के राष्ट्रपति ने पहली बार अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजी
अफगान के राष्ट्रपति ने पहली बार अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजी

 

अपडेट
15: 50 बजे 17 फरवरी 2021
नई दिल्ली/अजमेर.भारत के साथ राजनयिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने का संकेत देते हुए, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में अपने राजनयिक मिशन के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह को 'चादर' भेजी है.

अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का वार्षिक 809 वां 'उर्स मुबारक' जारी है.वर्तमान 'गद्दी नशीन' और हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती(1142-1236 ई) के 27 वें प्रत्यक्ष वंशज हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने आईएएनएस से कहा, "अफगानिस्तान के किसी भी राष्ट्रपति और किसी भी दक्षिण एशियाई राष्ट्र द्वारा भेजा गया यह पहला पवित्र 'चादर मुबारक' है.

उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति अशरफ गनी ने संदेश भिजवाया है कि 'ख्वाजा गरीब नवाज (आरए) का संदेश दुनिया भर में सुना और समझा जाए'.साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा, "इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और अफगान लोगों की ओर से भारत में अजमेर शरीफ के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (आरए) के प्रति सम्मान और श्रद्धा के एक विनम्र संदेश के साथ 809 वें वर्ष के उर्स मुबारक समारोह को चिह्न्ति करने के लिए एक पवित्र 'गिलाफ मुबारक' भेजा है."'

अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जादानशीन, सैयद सलमान चिश्ती ने कहा, "यह भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ी प्रगति है और अफगानिस्तान में चरमपंथी कट्टरपंथियों के लिए मजबूत संदेश है, जिन्होंने कई सूफी श्राइनों और एकता के केंद्रों को नष्ट कर दिया है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पवित्र सूफी मंदिर में 'चादर' चढ़ाई है.

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सुबह 08 बजे 17 फरवरी 2021
अजमेर. दिन गुजरने के साथ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्तिी दरगाह पर गहमागहमी बढ़ रही है. कव्वाली और नातों का सिलसिला भी चल रहा है. एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजी गई चादर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने दरगाह पर चढ़ाई. आज चिश्चि रहमतुल्ला अलैहे के वार्षिक उर्स का चैथा दिन है.
 
दरगाह अजमेर शरीफ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का अंतिम विश्राम स्थल है. दरगाह अजमेर रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किमी दूर है. यह स्थान एक पर्वत श्रृंखला के करीब है.दरगाह की इमारत संगमरमर से बनी है और इसके शीर्ष पर एक सुंदर गुंबद है. इस गुंबद के ठीक नीचे ख्वाजा साहब का मकबरा है.
 
अजमेर दरगाह के परिसर में दो मस्जिदें हैं. उनमें से एक मस्जिद को अकबरी मस्जिद कहा जाता है जिसे मुगल राजा जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर ने बनवाया था. दूसरी मस्जिद  शाहजहानी मस्जिद कही जाती है, जिसे  शाहजहाँ ने बनवाई थी.
 
अकबर ने पहली बार 14 जनवरी 1562 को दरगाह शरीफ का दौरा किया था. उन्होंने फतेहपुर सिकरी से अजमेर शरीफ तक सड़क का निर्माण कराया. उन्होंने शाहजादे सलीम के जन्म का जश्न मनाने के लिए 56 फीट ऊँची मस्जिद का निर्माण कराया. आज इसे अकबरी मस्जिद कहा जाता है. जब जलालुद्दीन अकबर ने 6 मार्च, 1568 को चंगरगढ़ पर विजय प्राप्त की, तो उन्होंने यहां एक बड़ा देग बनवायाश् जिसमें एक सौ मानस चावल पकाया जाता है.
 
भक्ति की निशानी के रूप में, सुल्तान महमूद खिलजी ने दरगाह शरीफ में 85 फीट ऊंचा द्वार बनवाया, जिसे इसकी ऊंचाई के कारण बुलंद दरवाजा कहा जाता है.

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सायं 03.58 / 16 फरवरी, 2021

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की ओर से अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर चादरपोशी की गई। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी बाएहतेराम सिर पर चादर लेकर दरगार में पहुंचे और पीएम मोदी की ओर से दरगाह पर चादर चढ़ाई।

इस मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें नकवी का दरगाह के पदाधिकारियों ने जोरदार स्वागत किया।

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केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और सज्जादानशीं के उत्तराधिकारी सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती बातचीत करते हुए


सज्जादानशीं के उत्तराधिकारी सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि अजमेर वाले ख्वाजा में सभी की आस्था है।

 

 
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रात 09:30/ 15 फरवरी 2021

अजमेर में शुरू हुए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की ओर से भी दरगाह पर चादरपोशी की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने यह चादर अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को सौंपी. यह चादर सडब्ज़ रंग की है और उसपर चांदी का काम किया गया है. मुख्तार अब्बास नकवी यह चादर ख्वाजा की दरगाह पर चढ़ाने अजमेर जाएंगे. उसी दिन नकवी दरगाह में किए गए विकास कार्यों का भी उद्घटान करेंगे.
 
उधर, उर्स के तीसरे दिन बड़े-छोटे देग में मीठे चावल पकाने का कार्यक्रम चलता है. यह सिलसिला 1569 में सम्राट अकबर ने शुरू किया था. देग दरगाह के पश्चिम दरवाजे में स्थापित हंै. बड़े देग का आकार इतना बड़ा है कि इसमें एक समय में लगभग 37 क्विंटल अनाज पकाया जा सकता है. इसके पास ही छोटा देग स्थापित है, जिसे आगरा के सम्राट जहांगीर ने 1033 में स्थापित कराया था. छोटे देग में 29 क्विंटल सामग्री एक समय में पकाई जा सकती है. दोनों ही देगों में उर्स के मौके पर पकाए जाने वाले मीठे चावल जायरीनों में बांटे जाते हैं, जिसे लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है.
 
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सुबह 07ः 30  15 फरवरी
 
अजमेर. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स का आज दूसरा दिन है. आज के दिन आस्ताने में शेर-ओ-शायरी की महफिल सजती है. सूफियाना कलाम गाए जाते हैं. आम दिनों की तरह कव्वाली का प्रोग्राम तो चलेगा ही.
 
प्राचीन काल से ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह सूफी-संतों का केंद्र रहा है. साल भर यहां ख्वाजा के चाहने वाले बड़ी संख्या में आते हैं, पर उर्स के मौके पर विशेष तौर से लाखों की भीड़ उमड़ती है. उर्स के मौके सूफियान कलाम खास तौर से ख्वाजा साहब की शान में पढ़े जाते हैं. सूफियाना कलाम प्रेम और रहस्यवाद से भरा होता है. कहते हैं भारत में इस श्रृंखला की शुरूआत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती काल में शुरू हुई थी, जिसका सिलसिला ख्वाजा साहब के वंशों की वजह से आज भी बना हुआ है.
 
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दोपहरः 12ः10  / 14 फरवरी 2021
 
अजमेर. सुबह पवित्र गुसुल के साथ ही अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 809 वां वार्षिक उर्स की शुरू हो गई. तकरीबन एक सप्ताह तक चलने वाले उर्स के पहले रोज ख्वाज की दरगाह का गुलाब और केवड़ा जल से गुसुल कराया गया. उसके बाद विशेष दुआ  आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता दरगाह के सूफी संत तथा सज्जादानशीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती,सैयद जैनुल आबेदीन ने की.
 
इस मौके पर सज्जादानशीं के उत्तराधिकारी सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती और पोते इमामुद्दीन चिश्ती आदि भी मौजूद रहे. इस साथ ही दरगाह में कव्वाली और लंगर के विशेष कार्यक्रम का  आगाज हो गया.
 
अजमेर. ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 809 वां सालाना उर्स रविवार से राजस्थान के अजमेर शरीफ में शुरू हो रहा है. समारोह उर्दू के रजब महीने की पहले तारीख से शुरू होता है. हालांकि, कुछ दिनों पहले ही दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा लहराकर उर्स के आगमन का ऐलान कर दिया जाता है. कोरोना को देखते हुए सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से विशेष सावधानियां बरतने की हिदायत दी गई हंै.
 
उर्स समारोह के दौरान गरीब नवाज के मकबरे को गुलाब और खुशबूदार पानी से स्नान कराया जाएगा. इसके अलावा कव्वाली समारोह का भी प्रोग्राम है. इस दौरान हजारों की संख्या में ख्वाजा गरीब नवाज के भक्तों का जमावड़ा लगने और चादरें चढ़ाने की रस्मअदायगी भी होगी.
 
इस बार कोरोना के कारण उर्स को लेकर सरकार ने कुछ गाइड लाइन जारी किए हैं, जिसका पालन करने की यहां आने वालों के अलावा उर्स के व्यवस्थापकों को भी हिदायत दी गई है. हालांकि, कोरोना के चलते पिछले वर्षों की तुलना में इस बार उर्स में कम भीड़ उमड़ने की संभावना है. देश के कई हिस्से में  परिवहन के विभिन्न साधनों पर प्रतिबंध लगे हैं. 
 
इधर, प्रदेश सरकार एवं उर्स प्रशासन ने यहां आने वाले जायरीन के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की है. यहां आने वाले उर्स के बाद राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण करते हैं. इस दौरान
जयपुर के विभिन्न दरगाहों पर भी कव्वाली एवं लंगर का कार्यक्रम चलता है. 
 
अजमेर शरीफ को भारत में सूफीवाद का केंद्र माना जाता है. हजरत ख्वाजा गरीब नवाज के भक्त भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में हैं. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी 17 फरवरी को अजमेर जाएंगे. वह वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादरपोशी करेंगे. इस दौरान दरगाह समिति के माध्यम से दरगाह में कराए गए विकास कार्यों का  उद्घाटन किया जाएगा.
 
उर्स का पहला दिन

अजमेर शरीफ का उर्स हर साल पूरी श्रद्धा और सम्मान से मनाया जाता है. इस मौके पर अजमेर में लोगों की विशेष तौर से भीड़ उमड़ती है.  उलेमा की तकरीरें भी आयोजित की जाती हैं. पहले दिन पुरानी रीति-रिवाजों के साथ दरगाह को लेकर कई अनुष्ठान कराए जाते हैं. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को गुलाब और केवड़ा जल से गुसुल दिया जाता है. सामान्य दिनों में दरगाह चादरों से ढकी रहती है.