महिला के जीवन में योग ने किया चमत्कार तो कर डाली पीएचडी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 27-01-2021
योगासन करती महिलाएं. योग में रोग निवारण की अद्भुत क्षमता है. (फाइल फोटो)
योगासन करती महिलाएं. योग में रोग निवारण की अद्भुत क्षमता है. (फाइल फोटो)

 

 

उज्जैन. समस्याएं नए रास्ते दिखाने में मददगार होती हैं, ऐसा ही कुछ हुआ उज्जैन की डॉ. सुनीता बागड़िया के साथ. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या के निदान के लिए योग का सहारा लेना पड़ा और उनके लिए योग क्रिया इतनी मददगार साबित हुई कि उन्होंने आगे चलकर इस पर पीएचडी की उपाधि ही हासिल कर ली.

शहर के कोतवाली क्षेत्र में निवासरत डॉ. सुनीता बागड़िया पिछले 20वर्षों से महिलाओं को योग सिखा रही हैं. उन्होंने योग पर पीएचडी भी की है. उनकी पीएचडी की कहानी रोचक है. वे बताती हैं कि जब उनकी प्रसूति हुई थी तो उनका वजन काफी बढ़ गया था और उनके दोनों घुटनों में गैप आ गया था. डॉक्टर ने उन्हें नीचे बैठने से मना कर दिया था. काफी समय तक तो ऐसे ही चलता रहा, लेकिन एक दिन उन्हें लगा कि इस समस्या का निदान करना जरूरी है.

उन्होंने प्राचीन योग पद्धति का सहारा लिया और योगगुरू नारायण वामन पित्रे द्वारा योग की शिक्षा प्राप्त की. योग के माध्यम से कुछ समय पश्चात उनकी घुटने की समस्या पूर्णत समाप्त हो गई.

डॉ. बागड़िया बताती हैं कि आगे चलकर उनकी योग के प्रति रूचि बढ़ी और उन्होंने सोचा कि क्यों न योग के माध्यम से लोगों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण किया जाये.

डॉ. बागड़िया ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा और फिर स्नातकोत्तर किया. इसके बावजूद वे योग में और अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहती थी. इसी जिज्ञासा के चलते उन्होंने योग में पीएचडी की. उनके द्वारा सन 2006में योग का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से योगानन्दनम नामक साप्ताहिक समाचार-पत्र भी प्रकाशित किया जाने लगा.

बागड़िया द्वारा महिलाओं की विभिन्न स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायतों को दूर करने के लिये योगानन्दनम नारी शक्तिपीठ नामक संस्था शुरु की, जो महिला सशक्तीकरण के लिये निरन्तर कार्य करती रहती हैं. पिछले 20 वर्षों से उनके द्वारा महिलाओं को योग सिखाया जा रहा है. इनका उद्देश्य महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है. साथ ही इनकी संस्था द्वारा महिलाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कलात्मक गतिविधियां भी निरन्तर सीखने के लिये प्रेरित किया जाता है. डॉ. बागड़िया का मानना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है.