बेबुनियाद आंकड़ों से लिखी गई है भारत में कोविड मौतों पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 28-05-2021
भारत में कोविड मौतों पर न्यूयॉर्क टाइम्स का अनुमान मनगढ़ंत
भारत में कोविड मौतों पर न्यूयॉर्क टाइम्स का अनुमान मनगढ़ंत

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली  

केंद्र सरकार ने देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या और मौतों पर अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. केंद्र के अनुसार,इस अखबार कीरिपोर्ट का कोई प्रामाणिक आधार नहीं है और यह आधारहीन है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से झूठ है और ‘विकृत अनुमानों’ पर आधारित है.

गौरतलब है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘जस्ट हाऊ बिग कुड इंडियाज ट्रू कोविड टोल बी’नाम की एक रिपोर्ट लिखी है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि संक्रमण की सामान्य स्थितियों में भारत में कम से कम 6 लाख मौते होंगी.

रिपोर्ट में दावा किया गया था कि हरमुमकिन कटौती के बाद भी संभावित संक्रमितों की संख्या 40.42 करोड़ होगी, जबकि संभावित मौतों का आंकड़ा 6,00,000 होगा.

लेकिन गौर से देखा जाए तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने गणना के लिए कोई सांख्यिकीय सिद्धांत नहीं अपनाया है. उन्होंने संक्रमण की अधिकता और मृत्यु की संख्याओं पर ढीली गणना की है. और मृत्युदर भी इसी अंदाज में बढ़ा दिया है.

उनके कथित कंजर्वेटिव अनुमान के लिहाज से, उन्होंने माना कि वास्तविक संक्रमण दर 15 गुना अधिक है और 24 मई के 2.69 करोड़ को इससे गुणा करने पर उन्हें आकलित संक्रमण की संख्या 404.2 मिलियन (40.4 करोड़ मिली है) फिर इस अखबार ने मृत्युदर को 0.15 फीसद मान लिया और आकलन किया कि मौतों की संख्या 6 लाख होगी. लेकिन इसका आधार क्या है, वह रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है.

वहीं, अगर और अधिक खराब स्थिति होने पर संभावित संक्रमितों का आंकड़ा 53.9 करोड़ होगा, जबकि मौतों का आंकड़ा कम से कम 16 लाख होगा. वहीं, ‘सबसे खराब स्थिति’में संभावित संक्रमितों का आंकड़ा 70.07 करोड़ होगा, जबकि मौतों का आंकड़ा 42 लाख होगा.

इस कथित परिस्थिति में, अखबार ने संक्रमण को 20 से 26 गुना बढ़ाकर बताया है और मृत्युदर को भी 0.3 से 0.6 फीसद तक माना है. ऐसा क्यों होगा इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है. एक कारण यह हो सकता है कि देश में स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़े भार से लोगों को उचित उपचार नहीं मिलेगा और मृत्युदर बढ़ेगी. एक हद तक यह सही भी होगा पर 20 गुना ही क्यों, यह नहीं बताया गया है. 

न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने कहा, “यह अनुमान पूरी तरह गलत और आधारहीन है. और आंकड़ों को छिपाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. मामले की शुरुआत से ही हमारी कोशिश थी कि सारे मामलों और मौतों के आंकड़ों में पारदर्शिता बरती जाए ताकि हमें सही स्थिति का पता चले और उसके अनुरूप कदम उठाए जा सकें.”

वहीं, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद कुमार पॉल ने कहा कि रिपोर्ट ‘विकृत आंकड़ों’ पर आधारित है.

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की खबर के हवाले से बुधवार को ट्वीट किया था, ‘आंकड़े झूठ नहीं बोलते, भारत सरकार बोलती है.' 

 

वहीं प्रियंका गांधी ने भी इसी खबर को लेकर ट्वीट कर कहा, ‘हम कभी नहीं जान पाएंगे कि कोविड से मरने वालों की वास्तविक संख्या क्या है क्योंकि सरकार ने महामारी से लड़ने से ज्यादा आंकड़े दबाने के लिए बहुत मेहनत की है.’

राहुल गांधी के ट्वीट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पलटवार किया था. उन्होंने कहा था, 'लाशों पर राजनीति, कांग्रेस स्टाइल! पेड़ों पर से गिद्ध भले ही लुप्त हो रहे हों, लेकिन लगता है उनकी ऊर्जा धरती के गिद्धों में समाहित हो रही है. राहुल गांधी जी को दिल्ली से अधिक न्यूयॉर्क पर भरोसा है. लाशों पर राजनीति करना कोई धरती के गिद्धों से सीखे.'

बहरहाल, डॉ. वी के पॉल ने न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर पर कहा है कि यह रिपोर्ट मनगढ़ंत है. यह अनुमान बिना किसी आधार के लगाए गए हैं और रिपोर्ट में बताए गए आंकड़े किसी देश में कुल संक्रमित मामलों में सबसे अधिक संख्या पर आधारित हैं.

डॉ. पॉल ने कहा कि विश्लेषण में समस्या तब पैदा होती है जब संक्रमण के मुकाबले एक तय संख्या को मृत्युदर मान लिया जाता है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘अगर हम अपने सीरो सर्वे के आधार पर देखें तो संक्रमण से जुड़ी मृत्युदर 0.05 फीसद और वास्तविक मृत्युदर 1.1 फीसद है. रिपोर्ट में (न्यूयॉर्क टाइम्स) में संक्रमित लोगों में 0.3 फीसद मृत्युदर कही गई है, जो छह गुना है. इस बात का कोई आधार नहीं है. अगर अनुमान की इसी प्रक्रिया को आधार बनाएं तो न्यूयॉर्क में जो मई में ही 50,000 लोग मरे होंगे अगर इनको छह गुना किया जाए तो मरने वालों की संख्या 90,000 होगी और 12 गुना कर दूं तो 1.75 लाख हो जाएगी. लेकिन उनका कहना है कि मरने वालों की संख्या 16,000 है. यानी, टाइम्स की रिपोर्ट मनगढ़ंत है. संक्रमण के आंकड़ों के लिए उन्होंने हमारे सिर्फ जनवरी के आंकड़ों का उपयोग किया है.’

वैसे तथ्य यही है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में सीरो सर्वे का जिक्र जरूर किया है, लेकिन अनुमान लगाने में उसके आंकड़ों का उल्लेख या इस्तेमाल नहीं किया है. अपने ‘सबसे खराब परिस्थिति’ वाले अनुमान में उन्होंने सीरो के 26 गुना वाली संख्या का इस्तेमाल तो किया है लेकिन बाकी के दो, अनुमानों में रिपोर्टर ने 15 या 20 गुना संक्रमण का जिक्र बगैर किसी बुनियादी आधार के किया है.

इसके साथ ही न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में, ‘हाउ टू एस्टिमेट डेथ रेट्स’नामक सेक्शन में भी मृत्युदर के अंदेशे के स्पष्टीकरण नहीं हैं. अखबार ने, 0.15 फीसद, 0.30 फीसद और 0.60 फीसद मृत्युदर का अनुमान तो लगाया है पर इस अनुमान का कोई बुनियादी आधार नहीं है.

--साथ में एजेंसी इनपुट्स