रमजान में शुगर की जांच करने से नहीं टूटता है रोजा: एएमयू

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 08-04-2021
एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में आयोजित सेमीनार में रोजा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर विचार रखे
एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में आयोजित सेमीनार में रोजा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर विचार रखे

 

रेशमा / अलीगढ़

रमजान शुरु होने से पहले ही डायबिटीज के मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है. डायबिटीज से पीड़ित होने पर रोजा रख सकते हैं या नहीं. अगर रख सकते हैं तो रोजे के दौरान क्या करना चाहिए. दवा किस तरह से लेनी चाहिए. सेहरी और इफ्तार के दौरान डायबिटीज के मरीज का खानपान कैसा हो, इसे लेकर भी तमाम तरह के सवाल होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने एक सेमीनार आयोजित किया था, जिसमें एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के राजीव गांधी सेंटर फार डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी और मेडिसिन विभाग की ओर से खुद और बुलाए गए वक्ताओं ने रोजे और डायबिटीज के मरीजों से जुड़ी जरूरी सलाह पर विचार किया.

डायबिटीज रोगी रोजा से पहले डॉक्टर से पूछें

सबसे पहले डाक्टर साराह आलम (सलाहकार, एशियाई अस्पताल, फरीदाबाद) ने कहा कि रमजान के दौरान लगभग 150मिलियन लोग रोजा रखते हैं और हाल के शोध से पता चला है कि आंतरिक उपवास लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा कि उपवास मधुमेह रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए उन्हें डाक्टर से सलाह-मशविरा करने के बाद रोजा रखना चाहिए.

रोजा से बचें

राजीव गांधी सेंटर फार डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी (फैकल्टी ऑफ मेडिसिन) के निदेशक डाक्टर हामिद अशरफ ने कहा कि रोजे का मधुमेह वाले लोगों पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है. जिन लोगों को उच्च मधुमेह है और जिनमें अक्सर रक्त शर्करा कम होता है, या जो गर्भवती हैं, और जिन्हें गुर्दे की गंभीर बीमारी है, उन्हें रोजा से बचना चाहिए.

ये रख सकते हैं रोजा

डाक्टर हामिद अशरफ ने कहा कि जिनका ब्लड शुगर नियंत्रण में है और जिनके रक्त में शर्करा का स्तर अचानक नहीं गिरता है और जो एक ही समय में कई बीमारियों से पीड़ित नहीं हैं, वे रोजा रख सकते हैं.

शर्करा पदार्थ न लें

राजीव गांधी सेंटर के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जमाल अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि मधुमेह से पीड़ित लोगों को रमजान के कम से कम एक महीने पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उन्हें रमजान के दौरान अपनी दवा बदलनी या कम करनी पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को इफ्तार और सहरी के दौरान संयम से भोजन करना चाहिए. उन्हें शर्करा वाले पेय, तले हुए खाद्य पदार्थ और उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। इसके अलावा उपवास के दौरान रक्त शर्करा की जांच की जानी चाहिए, इससे रोजा नहीं टूटता है.

मधुमेह को नियंत्रित रखना चुनोती

वहीं मेडीसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शादाब ए. खान ने कहा कि रोजे की हालत में मधुमेह को नियंत्रित रखना हर डाक्टर के लिये एक चुनोती होती है. इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन खासकर डॉक्टरों के लिये खासतौर से फायदेमंद होता है.

सेमीनार के दौरान फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन प्रोफेसर राकेश भार्गव, जेएन मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल और सीएमएस प्रोफेसर शाहिद सिद्दीकी, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षक और अलीगढ़ के प्रमुख चिकित्सक भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.