रफत जा रहे थे मस्जिद, पता चला तो जितेंद्र के 60 दिन के बच्चे की जान बचाने पहुंच गए अस्पताल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-01-2023
रफत जा रहे थे मस्जिद, पता चला तो जितेंद्र के 60 दिन के बच्चे की जान बचाने पहुंच गए अस्पताल
रफत जा रहे थे मस्जिद, पता चला तो जितेंद्र के 60 दिन के बच्चे की जान बचाने पहुंच गए अस्पताल

 

गुलाम कादिर/ भोपाल

ऐसा केवल हिंदुस्तान में ही संभव है. कोई व्यक्ति घर से नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जाने को निकाले और किसी को मूसीबत में देखकर अस्पताल पहुंच जाए. ऐसा नजारा मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में देखने को मिला.

एनीमिया से पीड़ित 60 दिन के एक बच्चे की जान बचाने के लिए एक मुस्लिम व्यक्ति ने निस्वार्थ भाव से रक्तदान किया.जब उन्हें बच्चे के बारे में फोन आया, तो 36 वर्षीय रफत खान ने एक सेकंड के लिए भी संकोच नहीं किया. अपनी मोटरसाइकिल से जिला अस्पताल पहुंच गए. 
 
खान नमाज अदा करने के लिए अपने घर से निकलने ही वाले थे कि तभी उन्हें अपने दोस्त विकास गुप्ता का फोन आया. उन्हें पॉजिटिव ब्लड की सख्त जरूरत थी.
 
एक बच्चा एनीमिया से पीड़ित था. स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण उसकी जान खतरे में थी.लाल रक्त कोशिकाएं शरीर के ऊतकों तक पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाती हैं.
 
खान ने बताया कि बिना कुछ सोचे मैंने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और बीमार बच्चे को रक्तदान करने के लिए जिला अस्पताल पहुंच गया.
 
खान ने कहा कि बच्चे के पिता जितेंद्र, जो मनोरिया गांव के रहने वाले हैं, ने विकास गुप्ता से संपर्क किया था, क्योंकि उन्हें खून की तत्तकाल जरूरत थी. एक दलाल ने उन्हें ठग लिया था.
 
उन्होंने बताया कि दलाल ने खून का इंतजाम करने के बहाने जितेंद्र से 750 रुपये एंठ लिए, पर उपलब्ध नहीं कराया.
 
जितेंद्र ने कहा, खान द्वारा रक्तदान करने के बाद अब मेरे बेटे की स्थिति में सुधार  है. जब मेरे बच्चे को इसकी सख्त जरूरत थी, तब वह एक फरिश्ते की तरह आए और मुस्कुराते हुए रक्तदान कर गए.
 
जिला अस्पताल में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई के प्रभारी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश प्रजापति ने बताया कि रक्त चढ़ाने के बाद बच्चे की हालत स्थिर है.
 
खान ने पहली बार रक्तदान नहीं किया है. उन्होंने एक वर्ष की अवधि में कम से कम 13 बार रक्तदान किया है. उन्होंने कहा कि नेक कार्य से उन्हें खुशी और संतुष्टि मिलती है.