बिहारः कोरोना से बिगड़ते हालाते देख मुस्लिम डॉक्टरों की नई पहल

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 19-04-2021
बिहारः कोरोना से बिगड़ते हालाते देखते हुए मुस्लिम डॉक्टरों की नई पहल
बिहारः कोरोना से बिगड़ते हालाते देखते हुए मुस्लिम डॉक्टरों की नई पहल

 

सेराज अनवर / पटना

बिहार में भी कोरोना को लेकर स्थिति बिगड़ रही है. रविवार को पहली बार बिहार में चैबीस घंटे के भीतर साढ़े आठ लाख से अधिक कोरोना के नए मामले दर्ज किए गए. इसके साथ इस प्रदेश में कल तक कुल कोरोना मरीजों की संख्या सवा तीन लाख से पार कर गई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को 12 घंटे में केवल गया शहर में 11 व्यक्तियों की कोरोना से मौत हो गई.
 
कोविड-19 के बिहार में बिगड़ते हालात को देखते हुए सूबे के मुस्लिम डॉक्टर ने नई पहल की है. रविवार को वर्चुअल मीटिंग कर इस महारोग से निपटने की खास रणनीति बनाई है.
 
मीटिंग के दौरान चिकित्सकों ने कोरोना वायरस जैसे संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने और उन्हें राहत पहुंचाने के उपायों पर गहन चर्चा की गई. जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के तत्वावधान में आयोजित इस मीटिंग की अध्यक्षता मशहूर सर्जन डॉ. अहमद अब्दुल हई ने की.
 
मीटिंग के दौरान तीन प्रस्तावों पर सहमति बनी.पहला, मेडिकल काउंसिलिंग का काम हर जिले में जल्द से जल्द शुरू किया जाए. दूसरा, ऑक्सीजन बैंक स्थापित करके जरूरतमंद कोरोना मरीजों को उनके घर तक ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए. तीसरा, अस्थायी कोविड सेंटर स्थापित किया जाए. इसके लिए उपयुक्त स्थानों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई.
 

मीटिंग में बिहार और झारखंड के चिकित्सक भी


मीटिंग को संबोधित करते हुए जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश् अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि वर्तमान समय में हम सब को अपनी जिम्मेदारी समझनी है. कुरान में कहा गया है कि एक आदमी की जान बचाना पूरी मानव जाति की जान बचाना है.
 
मौलान रिजवान अहमद ने चिकित्सकों से अपील की कि एक डॉक्टर के रूप में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने और कोरोना संक्रमितों को राहत पहुंचाने के लिए आपसे जहां तक संभव हो, प्रयास करें. सरकार अकेले इस काम को नहीं कर सकती. 
 
उन्होंने तमाम जिलों में मेडिकल कंसल्टेशन के लिए डाक्टरों की टीम बनाने,ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराने और कोरोना मरीजों की अन्य सहायता करने के लिए ठोस रणनीति अपनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा करके हमारे डॉक्टर पुण्य के भागीदार होंगे.
 
मीटिंग में हिस्सा लेते हुए अब्दुल हई ने अस्थायी कोविड हॉस्पीटल, मेडिकल काउंसिलिंग और ऑक्सीजन बैंक जैसी सुविधाएं शुरू करने पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की मौजूदगी और दवाओं के इंतेजाम के बारे में हमें सोचना है. उन्होंने हेल्पलाइन नंबार जारी करने का भी सुझाव दिया.
 
अरशद अजमल ने कहा कि डॉक्टर्स रजिस्ट्रेशन के लिए कोई जगह बना लें.मेडिकल एडवाइज बहुत जरूरी है.डॉक्टर अगर हर रोज दो-दो घंटे भी ऑनलाइन कंसल्टेशन के लिए समय दे दें तो काफी हो सकता है.
 
डा. आफताब ने रांची का अनुभव साझा करते हु कहा कि माइल्ड सिस्टम वालों के लिए दो डॉक्टर को असाइन किया गया है. एक डॉक्टर ने कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी संभाली है.कोऑर्डिनेटर के जरिये माइल्ड सिस्टम वालों के लिए ऑनलाइन कंसल्टिंग की सुविधा प्रदान की जाती है.
 
कुछ ऐसे डॉक्टरों और कम्पाउंडरों की भी सेवा ली गई है, जो होम विजिट की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं.इसके साथ ही दो सौ, पांच सौ, हजार रुपये की मुफ्त दवाईयां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं. लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
 
डॉ.मस्लेहुद्दीन ने कहा कि पटना में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ा मसला है. एनएमसीएच में भी ऑक्सीजन का संकट है.प्राइवेट अस्पतालों की भी यही समस्या है, इसलिए सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कंसल्टेशन भी जरूरी है इसलिए कि लोगों को समय पर बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती है.
 
डॉ.महमूदुल हसन ने कहा कि  डॉक्टर्स का एक ग्रूप मिलकर माइल्ड, मोडरेट, सिवियर मरीज के लिए एक स्टैंडर्ड प्रोटोकोल बना ले ताकि इलाज में सुविधा हो.
 
ख्वाजा इरफान ने कहा कि कुछ डॉक्टर्स की क्लिनिक खाली है, वहां से कोरोना संक्रमितों को राहत पहुंचाने का काम हो सकता है. इसके लिए उन्होंने एक-दो डॉक्टरों की क्लिनिक का नाम भी सुझाया.
 
डॉ.अब्दुस सलाम ने कहा एक कंट्रोल रूम होना चाहिए. साथ ही एक टाल फ्री नंबर जारी होना चाहिए जिसपर लोगों को सलाह दी जा सके.कुछ मोबाइल डाक्टर्स की भी सेवा ली जानी चाहिए.
 
डा.अब्बास मुस्तफा ने कहा कि एक ऐसा सिस्टम विकसित होना चाहिए जिसके तहत डॉक्टर मरीजों को गाइड करें कि उन्हें कौन सी दवा लेनी है और कौन-कौन सी जांच करानी है.उन्होंने कहा कि मरीजों का घर पर ही इलाज हो तो ज्यादा बेहतर है.हमलोग ऑक्सीजन रिफिलिंग की सुविधा प्रदान कर सकते हैं.
 
काशन मनी के तौर पर मरीजों से पैसा जमा कराया जा सकता है.उन्होंने कहा कि घर पर जाकर मरीज को एडवाइस करना और माॅनिटर करना इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे पास हैंड्स कितने हैं.
 
डा. मोहम्मद एजाज ने पेशकश करते हुए कहा कि वो प्रतिदिन 10 मरीज को ऑनलाइन मुफ्त एडवाइज कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास कुछ ऐसे लोग भी हैं जो होम सैम्पलिंग का काम कर सकते हैं.
 
आज की मीटिंग में आए सुझावों को ठोस और व्यवहारिक रूप देने के लिए सोमवार को डॉ. अहमद अब्दुल हई की अध्यक्षता में फिर मीटिंग होगी.मीटिंग के बाद कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण पाने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा.