आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
हिंदी सिनेमा की दिग्गज गायिका लता मंगेशकर के सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक देशभक्ति रचना ‘‘ऐ मेरे वतन के लोगन‘‘ है. इसे 1963 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर चीन के साथ 1962 के युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में प्रस्तुत किया गया था.
लता मंगेशकर ने इसे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन और पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में यह गाना लाइव गाया था.
देशभक्ति गीत ‘ ऐ, मेरे वतन के लोगों‘ चीन-भारत युद्ध के बाद लिखा गया था. तब से यह भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया है. जब लता मंगेशकर ने इसे 27 जनवरी, 1963 को नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन और प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में गाया, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई थीं. तबनेहरू ने कहा था कि एक सच्चा भारत इस गीत से पूरी तरह प्रभावित होगा.
यह शुरुआत में भारतीय युद्ध विधवाओं के लिए फिल्म उद्योग द्वारा आयोजित दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में एक अनुदान संचय में प्रस्तुत किया गया था. गीत सी राम चंद्र द्वारा रचित था और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया था. साढ़े छह मिनट का गीत गाते ही पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखें भर आईं. आइए इस बहुत प्रसिद्ध भावपूर्ण राग के बारे में कुछ और जानें.
शुरुआत में जब लता मंगेशकर ने ऐ, मेरे वतन के लोगों गाने से मना कर दिया तो उनकी जगह आशा भोंसले का नाम लिया जाने लगा. हालांकि, प्रदीप लता को गाने के लिए मनाने में कामयाब रहे.
प्रदीप ने खुलासा किया था कि ऐ मेरे वतन के लोगो की पंक्तियां उनके दिमाग में तब आईं जब वह मुंबई में समुद्र तट पर टहल रहे थे. चूँकि उनकेे पास कलम या कागज नहीं था, उन्होंने एक गुजरते हुए अजनबी से कलम माँगी और सिगरेट के डिब्बे के एल्युमिनियम फॉयल पर ये पंक्तियां
लिख दीं.
लता और संगीतकार के बीच मतभेद
यह तय हो गया था कि लता मंगेशकर गाएंगी और सी राम चंद्र इसकी रचना करेंगे. गायक और संगीतकार के बीच अंतर था. लता ने गीत छोड़ने का फैसला किया.
उसके बाद आशा भोसले ने उन्हें गाने के लिए कहा. लेकिन प्रदीप इस बात पर अड़े रहे कि केवल लता ही ही इसे गा सकती हैं.उन्होंने महसूस किया कि इस गीत को लता की आवाज जो भावना और न्याय दे सकती है, वह अद्वितीय है. उसके बाद प्रदीप लता के पास गए और उन्हें गाने के लिए राजी किया.
पहली बार गाना सुनते ही लता रो पड़ी
ऐसा कहा जाता है कि जब लता ने पहली बार गीत सुना तो वह रो पड़ीं. वह तुरंत इसे गाने के लिए तैयार हो गईं,लेकिन इस शर्त पर कि रिहर्सल के दौरान प्रदीप खुद मौजूद रहेंगे.
हालांकि, गाना सुनने के बाद लता ने सुझाव दिया कि उन्हें सोलो के बजाय युगल गीत में गाना चाहिए. दूसरी ओर, प्रदीप चाहते थे कि लता इसे अकेले गाएं.लता और आशा ने जोड़ियों में गाने की रिहर्सल की, लेकिन आशा ने गाने से दूरी बना ली. लता ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन आशा ने अपना फैसला कर लिया था.
लता और आशा दोनों को समाचार पत्रों में गायकों के रूप में चित्रित किया गया था. महान संगीतकार और गायक हेमंत कुमार ने इस असफलता को दूर करने की कोशिश की लेकिन वे भी आशा को मना नहीं पाए. फिर लता ने इसे दिल्ली में अकेले गाया.
लता मंगेशकर ने जब पहली बार ‘ओ मेरे वतन के लोगों‘ गाया, तो लोग दंग रह गए. उस वक्त सभी को ऐसा लग रहा था जैसे यह उनके ही दिल की आवाज हो.
92 वर्षीय गायक ने कई भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं.उन्होंने 1000 से अधिक हिंदी फिल्मों में गाने रिकॉर्ड किए