वेबसीरीज रिव्यूः सिटी ऑफ ड्रीम्स बाप-बेटी की सियासी लड़ाई की कहानी है

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 31-07-2021
सिटी ऑफ ड्रीम्स का वीडियो ग्रैब
सिटी ऑफ ड्रीम्स का वीडियो ग्रैब

 

अदनान फैसल/ नई दिल्ली

सिटी ऑफ ड्रीम्स का दूसरा सीजन डिज्नी-हॉटस्टार पर शुक्रवार को रिलीज कर दिया गया है. इसके पहले सीज़न को काफी सफलता मिली थी. दूसरे सीजन का दर्शक लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे. सिटी ऑफ ड्रीम्स एक पॉलिटिकल सस्पेन्स थ्रिलर वेबसीरीज़ है, जिसकी कहानी में ढेर सारे ट्विस्ट और टर्न हैं.

सिटी ऑफ ड्रीम्स के पहले सीजन में, राजनैतिक उत्तराधिकार के लिए एक बहन और भाई के बीच संघर्ष दिखाया गया था. दूसरे सीजन में यह लड़ाई बाप और बेटी की की है.  

सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2 की शुरुआत पूर्णिमा गायकवाड़ (प्रिया बापट) के मुख्यमंत्री की कुर्सी लेने के साथ होती है. अपने भाई आशीष (सिद्धार्थ चंदेकर) की मौत और पिता अमेया राव गायकवाड़ उर्फ ​​साहेब (अतुल कुलकर्णी) के लकवाग्रस्त ने के बाद यह लड़ाई तेज हो जाती है.

इस सीजन में पूर्णिमा महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री बन चुकी है और अब उनके पिता अमेय राव गायकवाड़ ना सिर्फ़ अपने बेटे की मौत का बदला लेना चाहते हैंबल्कि अपनी खोई हुई सत्ता और इज्जत पाना चाहते हैं.

सिटी ऑफ ड्रीम्स सीजन 2

सिटी ऑफ ड्रीम्स सीजन 2 


पूर्णिमा का साथ दे रहे हैं साहब के पूर्व सहयोगी और पूर्व सीएम जगदीश गुरव (सचिन पिलगांवकर) और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिसवाले से राजनेता बने वसीम खान (एजाज खान).

सिटी ऑफ ड्रीम्स सीज़न 2 को पहले की तुलना में बड़े पैमाने पर बनाया गया है. इस पूरे सीज़न में कई कहानियां एक साथ आगे बढ़ रही हैं, जो दर्शकों को बांधकर रख रहा है.  सीज़न 1 की ही तरह सीज़न 2  में भी 10 एपिसोड है जो रोमांच और जज्बात से भरा हुआ है. 

इस दूसरे सीजन में अतुल कुलकर्णी, प्रिया बापट, एजाज खानऔर सचिन पिलगांवकर ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का एक बार फिर से दिल जीत लिया है. वहीं इस सीज़न में सुशांत सिंह से जितनी उम्मीदें थी, उस पर वह खरे नहीं उतर पाए. पर, तान्या मेहता के किरदार में श्रेयम भगनानी का काम लाजवाब है.

जिन दर्शकों को पॉलिटिकल क्राइम जैसी वेबसीरीज़ पसंद है, उनके लिए सिटी ऑफ ड्रीम्स का यह सीजन किसी तोहफे से कम नहीं.