नई दिल्ली
बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर खान ने अपने करियर के शुरुआती संघर्षों पर एक बार फिर दिल खोलकर बात की है। एक हालिया कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि किस तरह ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘क़यामत से क़यामत ’ की जबरदस्त सफलता के बाद भी उनका आत्मविश्वास टूटने लगा था—यहां तक कि उन्हें लगा उनका करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।
आमिर बताते हैं कि QSQT ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया, लेकिन इसके बाद जिन निर्देशकों के साथ वह काम करना चाहते थे, उनकी तरफ से कोई ऑफर नहीं आया। दूसरी ओर, कई फिल्ममेकर अचानक दर्जनों फिल्में ऑफर करने लगे और उन्होंने भी सोचा कि अगर कुछ अभिनेता एक साथ 30–40 फिल्में कर सकते हैं तो वे भी 8–10 फिल्में कर सकते हैं। यही निर्णय उनके लिए सबसे बड़ा जोखिम साबित हुआ।
आमिर के अनुसार, “एक साथ इतनी फिल्मों में काम करना मेरे स्वभाव के खिलाफ था। यही गलती मेरे लिए मुसीबत बन गई। मेरी फिल्में लगातार फ्लॉप होने लगीं। लोग मुझे ‘वन-फिल्म वंडर’ कहने लगे—और सच कहूं तो उस समय मैं भी खुद को वही मान बैठा था।”
उन्होंने आगे कहा कि हर शाम वे घर लौटकर रोते थे, क्योंकि उन्हें पहले से पता होता था कि जिन फिल्मों में वे काम कर रहे हैं, वे असफल होने वाली हैं। उसी दौर में आमिर ने खुद से यह वादा किया—“मैं फिर कभी अपने काम से समझौता नहीं करूंगा।”
उनका करियर 1990 में ‘दिल’ से पटरी पर लौटा, और 90 के दशक में ‘राजा हिंदुस्तानी’ व ‘सरफरोश’ जैसी फिल्मों ने उन्हें सिनेमा का विश्वसनीय सितारा बना दिया। आगे चलकर ‘गजनी’, ‘3 इडियट्स’, ‘PK’, ‘दंगल’ जैसी फिल्मों ने आमिर खान को भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्थायी स्थान दिला दिया। ‘दंगल’ आज भी भारत की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म है।
हाल ही में आई उनकी फिल्म ‘सतारा ज़मीन पर’ ने विश्व स्तर पर 200 करोड़ की कमाई की। यह फिल्म सीधे YouTube पर रिलीज हुई और OTT प्लेटफॉर्म्स को भी पीछे छोड़ दिया।
आमिर खान का सफर साबित करता है कि असफलताएँ अगर इंसान को तोड़ती हैं, तो वही उसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का हौसला भी देती हैं—बस शर्त है कि इंसान अपने काम से कभी समझौता न करे।






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