अक्षय कुमार की अगली फिल्म ' सेक्स एजुकेशन' पर

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 08-12-2022
अक्षय कुमार की अगली फिल्म ' सेक्स एजुकेशन' पर होगी
अक्षय कुमार की अगली फिल्म ' सेक्स एजुकेशन' पर होगी

 

अजित राय, जेद्दा, सऊदी अरब

बालीवुड के लोकप्रिय अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा है कि उनकी अगली फिल्म ' सेक्स एजुकेशन ' पर होगी. वे यहां सऊदी अरब के जेद्दा शहर में आयोजित दूसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में दर्शकों से संवाद कर रहे थे. 

उन्होंने कहा "  यहां उन्हें अपनी आनेवाली फिल्म की घोषणा करते हुए अपार खुशी हो रही है. " उन्होंने कहा कि किसी सार्वजनिक मंच से वे अपनी आनेवाली फिल्म के बारे में पहली बार यहां बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह फिल्म अगले साल अप्रैल या मई में प्रदर्शित होगी. अक्षय कुमार रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में लगातार दूसरी बार शिरकत कर रहे हैं.
 
रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के इंटरनेशनल प्रोग्रामिंग हेड लंदन के फिल्म पत्रकार कलीम आफताब के साथ बातचीत में भारतीय अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा कि वे सिर्फ पैसा कमाने के लिए फिल्मों में आए थे लेकिन दस साल अंधाधुंध काम करने के बाद उन्हें सिनेमा माध्यम से इश्क हो गया.
 
उन्हें लगने लगा कि सिनेमा केवल पैसा कमाने की चीज नहीं है. यह कुछ और ही चीज हैं। उन्होंने केवल पैसा कमाने वाली बात पर सफाई देते हुए कहा कि ' उनके पिता को प्रोस्ट्रेट कैंसर था और उनके परिवार ने गरीबी देखी है.
 
अक्षय कुमार ने कहा कि ' टायलेट एक प्रेमकथा ' पैडमैन ' या ' एयरलिफ्ट ' जैसी सोद्देश्य सामाजिक फिल्मों से पैसा तो बहुत नहीं आता पर अच्छे काम करने का संतोष मिलता है. उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि पैडमैन के बाद भारतीय समाज में इतनी जागरूकता पैदा हुई है कि एक बेटी अपने पिता से यह कहने का साहस कर सकती हैं कि उसे सैनेटरी नैपकिन चाहिए.
 
उन्होंने कहा कि वे आगे भी ऐसी सामाजिक महत्व की फिल्में बनाते रहेंगे.  उन्होंने टायलेट, पैडमैन और हाउसफुल 4  फिल्मों के कुछ दृश्य दिखाए और कहा कि उनका इलाका पब्लिक एंटरटेनमेंट है और ऐसी फिल्मों को मनोरंजन की निगाह से ही देखना चाहिए.
 
उनसे पूछा गया कि आज तीस साल बाद वे अपनी पहली फिल्म ' संघर्ष ' ( निर्देशक राज एन सिप्पी) को कैसे याद करते हैं तो उन्होंने कहा कि उनके शुरुआती दिन सचमुच संघर्ष के थे. उन्होंने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि "तब लोग कहते थे कि मेरी आवाज़ ठीक नहीं है.  
 
मेरा फिल्म इंडस्ट्री में आना एक इत्तेफाक था. आज मैं यह स्वीकार करता हूं कि उस समय मुझसे भी ज्यादा प्रतिभाशाली और सुंदर युवा संघर्ष कर रहे थे उनमें से कुछ आज तक संघर्ष कर रहे हैं और ईश्वर की कृपा से मुझे ब्रेक मिला और सफलता मिल गई. आज मैं करीब 150 फिल्मों में काम कर चुका हूं.  यह बात अलग है कि इनमें से कुछ फिल्में खूब चली और कुछ नहीं चली। फिल्म का चलना और न चलना हमारे वश में नहीं है. हम तो केवल इमानदारी से अपना काम ही तो कर सकते हैं."
 
 
उन्होंने कहा कि इस फिल्म इंडस्ट्री में कड़ी मिहनत करनी पड़ती है, साल भर दिन रात काम करना पड़ता है. एक फिल्म बनाने में साल लग जाते हैं, कई बार तो प्रोड्यूसर के घर के गहने गिरवी रखने पड़ते हैं। मंगलसूत्र तक चला जाता है. दिनभर करीब साढ़े तीन सौ लोग लगे रहते हैं. 
 
पब्लिक आती है और फिल्म देखकर बहुत आसानी से बोल देती है कि फिल्म बेकार है. पब्लिक सब जानती है। यदि वह ऐसा कहती हैं तो उसकी बात हम सर आंखों पर लेते हैं. हमें सुनना चाहिए कि उन्हें फिल्म में क्या चाहिए."
 
उन्होंने कहा कि" कोई इस फिल्म इंडस्ट्री में आ सकता है चाहे उसे लीड रोल चाहिए या कैरेक्टर रोल या उसे सिनेमैटोग्राफी करनी है या और कुछ. हमारी फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे सबके लिए खुले हैं, पर उसे कड़ी मेहनत करनी होगी. 
 
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने सेनेटरी पैड पर एक फिल्म बनाई ' पैडमैन जो एक इंसान के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित है. इसे आर बाल्की और मेरी पत्नी ट्विंकल खन्ना ने लिखा है. " उन्होंने कहा कि" वे दर्शकों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उन्हें हर तरह की भूमिकाओं में पसंद किया चाहे वह ' सिंह इज किंग ' हो ' एयरलिफ्ट ' हो या कोई और फिल्म. "
 
किसी फिल्म का चुनाव करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे स्क्रिप्ट को ही इसका आधार मानते हैं. फिल्म शुरू होने से पहले वह स्क्रिप्ट को तीस- चालीस बार पढ़ते हैं.  " माफ कीजिए, मै पढ़ने लिखने में थोड़ा कमजोर हूं. मैं स्क्रिप्ट सुनता हूं." उन्होंने आगे कहा कि शूटिंग शुरू करने से पहले मैं अपने निर्देशक और स्क्रिप्ट राइटर को सुबह चार पांच बजे बुलाता हूं और कई बार स्क्रिप्ट सुनता हूं.
 
उन्होंने कहा कि "लोग ऐसा समझते हैं कि कामेडी फिल्म बनाना बहुत आसान है और कोई भी बना सकता  है. मगर ऐसा नहीं है. एक अच्छी कामेडी फिल्म बनाना बहुत मुश्किल है. मैं तो कहूंगा कि सीरीयस फिल्म बनाना ज्यादा आसान है." 
 

 

अपने पसंदीदा फिल्म निर्देशक के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे प्रियदर्शन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि प्रियदर्शन से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है.