मंजीत ठाकुर
अमिताभ बच्चन के बारे में अब तक इतना लिखा, पढ़ा, बोला और बताया जा चुका है कि यह सवाल ही बेमानी लगता है कि उनकी पहली फिल्म ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी ‘सात हिंदुस्तानी’थी. अमिताभ बच्चन इस फिल्म में रांची के एक शायर अनवर अली के किरदार निभा रहे थे. फिल्म 1969 में रिलीज हुई थी.
लेकिन बात काबिले गौर है कि एकाध फिल्मों को छोड़ दें तो जिन भी फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने मुस्लिम किरदार निभाए सारी दर्शकों को बहुत पसंद आईं.
‘सात हिंदुस्तानी’में अमिताभ का किरदार अनवर अली गोवा के मुक्तिसंग्राम का सेनानी था. अमिताभ बच्चन ने उसके बाद कोई एक दर्जन फिल्मों में मुस्लिम किरदार निभाए.
1977 में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘ईमान धरम’रिलीज हुई थी और उसमें उनके किरदार का नाम अहमद रजा था. इस फिल्म में वह झूठ बोलने के उस्ताद होते हैं. हालांकि, इस फिल्म को सलीम-जावेद की हिट लेखक जोड़ी ने लिखा था लेकिन यह फ्लॉप रही थी. सलीम-जावेद की उन दिनों यही एक फिल्म थी जो फ्लॉप रही थी.
लेकिन उसके बाद अमिताभ बच्चन फिर से लौटे और 1978 में उनके ‘मुकद्दर का सिकंदर’फिल्म के सिकंदर को भला कौन भुला सकता है. इस फिल्म में अमिताभ जोरदार आशिक बने हैं और इसके साथ ही दोस्त, भाई और रक्षक की भूमिका में भी दिखे.
अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘अंधा कानून’ 1983 में आई, जिसमे वह छोटे रोल में थे और उनका नाम जां निसार अख्तर खान था. एक बार फिर अपने परिवार को खो देने वाले एंग्री ओल्ड मैन की भूमिका में अमिताभ बच्चन छा गए थे.
1983 में ही, ‘कुली’फिल्म भी आई. उनके किरदार का नाम इकबाल था जिसके कंधे पर बाज और होठों में बीड़ी हुआ करती थी.
अमिताभ बच्चन की यह फिल्म ‘कुली’अन्य कारणों से भी चर्चा में रही. इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को चोट भी लगी और पूरे देश ने उनकी सेहत के लिए एकजुट होकर प्रार्थना की. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे हर जगह अमिताभ बच्चन की सेहत की दुआएं मांगी जा रही थीं.
इस चोट से सेहतमंद होने के बाद इस फिल्म का कुली का अंत भी बदल दिया गया क्योंकि दुर्घटना से पहले की पटकथा में कुली के अंत में इकबाल की मौत होनी तय थी लेकिन बाद में निर्देशक मनमोहन देसाई ने इकबाल को जिंदा रखने का फैसला किया. निर्देशक देसाई ने कहा था कि अगर भगवान ने उन्हें जिंदा रखा है तो वह किरदार को मारने वाले कौन होते हैं.
इस फिल्म कुली के अंतिम दृश्य में आप देखते हैं कि इकबाल दरगाह की चादर ओढ़कर गोलियों का सामना करता है और कलमा पढ़ता है. और इस सीन को देखते ही पूरे हॉल में तालियां गूंज उठती थीं.
अमिताभ बच्चन ने जिन आखिरी दो फिल्मों में मुस्लिम किरदार निभाए थे वो थे 1991 में रिलीज हुई फिल्म ‘अजूबा’जिसमें अली और अजूबा जादुई शक्तियों से लैस थे. बाद में, 2018 में ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’में अमिताभ बच्चन खुदाबख्श के किरदार में नजर आए. इसमें फिल्म में वह अंग्रेजों के नाक में दम कर देते हैं.
साथ में इस फिल्म में भी बाज उनके साथ होता है.
बहरहाल, अमिताभ बच्चन ने जिन फिल्मों में मुस्लिमों के किरदार निभाए, परदे पर उनका कारोबार शानदार रहा है.