मुंबई में स्लम के बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाती हैं यास्मीन खातून

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 21-07-2022
बच्चों के साथ यास्मीन
बच्चों के साथ यास्मीन

 

शाहताज खान/ पुणे

कुछ चटाईयां और एक ब्लैक बोर्ड, यह है 50 बच्चों का शिक्षण फुटपाथ. मुंबई के मीरा रोड के कनकिया इलाके की वी पॉवर जिम गली का यह फुटपाथ वहां से गुजरने वाले लोगों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करता है. परन्तु सिर झुकाए कॉपी पर पेंसिल से लिखने में मगन इन बच्चों पर आस पास से गुजरते लोग और शोर करते वाहन उनकी एकाग्रता पर कोई प्रभाव नहीं डालते.
 
उनके कान सड़क से गुजरने वाले वाहनों की आवाज़ पर नहीं बल्कि अपनी यासमीन मैडम की आवाज़ पर ध्यान केंद्रित रखते हैं. बाहिजाब यासमीन परवेज़ खान की तवज्जो का केन्द्र भी सिर्फ़ बच्चे ही होते हैं.
 
कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता 
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

 
यासमीन परवेज़ खान पिछले दस वर्षों से हर रोज़ तीन बजे से पांच बजे तक बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने का काम कर रही हैं. आज के दौर में जब शिक्षक का वजूद केवल वेतन भोगी होने तक सिमट गया है वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो बिना किसी लालच और किसी मुआवजे के बग़ैर अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ कर रहे हैं.
 
यासमीन परवेज़ खान न तो कोई NGO चलाती हैं और न ही किसी सरकारी संस्था से जुड़ी हैं. यासमीन बताती हैं कि एक दिन मुझे खयाल आया कि इन गरीब बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए.
बहुत सोच विचार के बाद यह निर्णय लिया कि कोई भी सहायता अधिक समय तक उनके काम नहीं आएगी जबकि शिक्षा उनके स्वयं के जीवन बल्कि पुरे परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने में सक्षम है. बस दो बच्चों के साथ पढ़ाना शुरू किया और आज 50 बच्चे मेरी मुहिम में मेरे साथ हैं. यासमीन मैडम का विश्वास है कि
 
यह और बात की आंधी हमारे बस में नहीं
मगर चराग जलाना तो इख्तियार में है.
जलाने वाले जलाते हैं चराग आखिर

 
ब्रेड हैनरी ने कहा था कि"एक अच्छा शिक्षक आशा को जगाता है, कल्पना को प्रज्वलित करता है और सीखने की लालसा पैदा करता है."यासमीन परवेज़ खान यही काम कर रही हैं. वी पावर जिम गली का यह फुटपाथ राहगीरों को एक जगह से दूसरी जगह नहीं बल्कि एक नस्ल को उसके उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने में मदद करता है.
 
झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों के लिए यह एक स्कूल है. जहां वह बुनियादी शिक्षा प्राप्त करते हैं और फिर औपचारिक शिक्षा के लिए यासमीन मैडम बच्चों की अंगुली पकड़ कर शिक्षा के द्वार अर्थात स्कूल तक पहुंचाती हैं जहां से यह बच्चे सीखने की निरंतर और धीमी प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं. और हर साल वह शिक्षा की एक सीढ़ी चढ़ते जाते हैं.
 
 
चल रहे हैं एक एक क़दम

"बेहद गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों की पढ़ाई में दिलचस्पी पैदा करने में में तो समय लगता ही है साथ ही उनके माता पिता को शिक्षा का महत्त्व समझाना भी किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं." यासमीन बताती हैं कि मैं कोई फीस नहीं लेती हूं लेकिन बच्चों के लिए कई चीजों की आवश्यकता होती है.
 
कापी, पेंसिल और दूसरे छोटे छोटे सामान. जिसके लिए मैं ने एक तरकीब निकाली है. वह अपने बोर्ड की तरफ़ इशारा करते हुए कहती हैं कि जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत होती है मैं बोर्ड पर लिख देती हूं और आप को हैरानी होगी कि थोड़ी ही देर में कोई न कोई वह सामान यहां पहुंचा देता है.
 
आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि बच्चों को आधे घंटे से अधिक इंतज़ार करना पड़ा हो.
 
 
वह खुश हो कर बताती हैं कि मैं स्वयं बच्चों के लिए हर जुमेरात के दिन खाने का प्रबन्ध करती हूं. जिसे देखकर अकसर लोग बच्चों के लिए खाना पीना और तोहफ़े भी लाने लगे हैं. जिस से बच्चों को बहुत खुशी मिलती है और उनका उत्साह बढ़ता है.
 
बिना छत वाला क्लासरूम
 
माइकल गोरपर्गो ने कहा था कि "शिक्षक से फर्क पड़ता है, क्लासरूम से नहीं."यासमीन मैडम के शिक्षण फुटपाथ की न दीवारें हैं और न ही छत, परन्तु शिक्षा पूरी मिलती है.
सब से पहला बच्चा जो इस फुटपाथ से बुनियादी शिक्षा प्राप्त कर के स्कूल पहुंचा था आज वह ग्यारहवीं कक्षा में पहुंच गया है. कनकिय इलाके के इस फुटपाथ से स्कूल जाने वाले बच्चों का यह सिलसिला लगातार जारी है. बिल गेट्स ने सही कहा था कि यदि अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलाना चाहते हो तो उसके लिए स्कूल ढूंढने की बजाए शानदार शिक्षक ढूढिये.
 
तू बस मेहनत करता जा

यासमीन परवेज़ खान बुर्के में रहती हैं. बाहिजाब खातून को फुटपाथ पर बच्चों को पढ़ाते देख कर लोग आज भी एक पल के लिए ठिठक कर रुक जाते हैं. यासमीन बताती हैं कि शूरू में उनके परिवार वाले भी उनके इस फैसले से खुश नहीं थे लेकिन जब मैं ने अपनी बात समझाई कि इन्हें इनके पास जाकर ही पढ़ाना होगा, उनके बीच और उनके साथ,तो आज मेरा पूरा परिवार जिसमें मेरे सास ससुर, पति और मेरे बच्चे मुझे पूरा सहयोग करते हैं.
 
यासमीन परवेज़ खान के पति विपरो कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं . यासमीन मैडम के शिक्षण फुटपाथ में इन दिनों मानसून ब्रेक चल रहा है. छुट्टियां खत्म होते ही शिक्षा का आदान प्रदान फिर शूरू हो जाएगा अभी तो शिक्षण फुटपाथ पानी में डूबा हुआ है. बारिश बंद होते ही गुब्बारे वाले, दिहाड़ी मजदूरों और छोटे छोटे काम करने वालों के बच्चे फिर अपने शिक्षण फुटपाथ का रुख करेंगे.