जामिया में आपदा जोखिम पर पांच दिवसीय कार्यक्रम

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-08-2022
जामिया और एनआईडीएम में आपदा जोखिम पर कार्यक्रम
जामिया और एनआईडीएम में आपदा जोखिम पर कार्यक्रम

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
 
जामिलया मिलिया इस्लामियां के भूगोल विभाग की ओर से आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस आयोजन में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) संयुक्त रूप से भागीदार रहा.
 
कार्यक्रम के समापन पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद डॉ एसडी अत्री, अतिरिक्त महानिदेशक, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मौजूद रहे. कार्यक्रम के समन्वयक आसिफ ने पांच दिनों के दौरान आयोजित अठारह सत्रों की सुव्यवस्थित रिपोर्ट प्रस्तुत की.
 
कार्यक्रम में पूरे भारत के फैकल्टी और युवा विद्वानों ने भाग लिया. यूनिसेफ, गृह मंत्रालय और सफदरजंग अस्पताल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविदों और चिकित्सकों ने आपदा जोखिम में कमी पर अपने व्याख्यान दिए.
 
सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे उच्च घनत्व वाले थर्मोकोल का उपयोग करने वाले भूकंप प्रतिरोधी भवन, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में युवाओं की भागीदारी, स्कूल के लिए आपदा भेद्यता, बाढ़ आपदा में भू-सूचना विज्ञान की भूमिका, महामारी के दौरान संस्थान परिसर की सुरक्षा और आपदा जोखिम में कमी पर चर्चा की. प्रतिभागियों को भेद्यता की जांच के लिए आस-पास के क्षेत्रों में भी भेजा गया.
 
एनआईडीएम की ओर से संयोजक आमिर अली खान ने भावी शोध कार्य का सुझाव दिया. उन्होंने कमजोर क्षेत्रों से प्रतिभागियों की धारणा पर चर्चा की. उन्होंने हाई टेंशन तारों की वैकल्पिक व्यवस्था, हेरिटेज भवनों का पुनरुद्धार, विश्वविद्यालय की सुसंगत और सुव्यवस्थित आपदा प्रबंधन योजना की व्यवस्था, दुर्घटनाओं से बचने के लिए मेट्रो निर्माण और विश्वविद्यालय के सभी विभागों में अग्निशामक यंत्रों की उपलब्धता की आवश्यकता पर बल दिया.
 
एसडी अत्री ने अपने मुख्य भाषण में आपदाओं के प्रभाव को कम करने में भारत मौसम विज्ञान विभाग की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया. विभाग मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने और आपदा जोखिम में कमी के लिए पूर्व चेतावनी जारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने तेजी से बदलती जलवायु और खाद्य सुरक्षा, पानी, स्वास्थ्य और ऊर्जा पर इसके प्रभाव के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने ऐसे क्षेत्रों में आपदा जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी रणनीति का सुझाव दिया.
 
इससे पूर्व प्रो. कार्यक्रम के संयोजक एवं विभागाध्यक्ष हारून सज्जाद ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन जेएमआई के समन्वयक प्रो. लुबना सिद्दीकी और धन्यवाद प्रस्ताव प्रो. मैरी ताहिर ने किया.