पत्रकारिता में अनुसंधान के लिए आईआईएमसी और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में समझौता

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 06-05-2022
पत्रकारिता में अनुसंधान के लिए आईआईएमसी और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में समझौता
पत्रकारिता में अनुसंधान के लिए आईआईएमसी और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में समझौता

 

आवाज द वाॅयस /हैदराबाद
 
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली ने पत्रकारिता में ज्ञान, शैक्षिक संसाधनों और अनुसंधान गतिविधियों को साझा करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

प्रो सैयद ऐनुल हसन, कुलपति, मानो और प्रो संजय द्विवेदी, महानिदेशक, आईआईएमसी ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.समौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने कहा कि हम पत्रकारिता पाठ्यक्रम एक साथ डिजाइन कर सकते हैं.
 
यह पीएचडी के लिए संयुक्त उद्यम हो सकता है, जिसका अर्थ है कि एक एकल छात्र दो शिक्षकों के मार्गदर्शन में उत्कृष्ट शोध कर सकता है. उन्होंने कहा कि उर्दू विश्वविद्यालय ऐसी किसी भी पहल में पूरा सहयोग करेगा.
 
प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी की एक बड़ा संस्था है. हमारे छात्र जिन्होंने यहां उर्दू पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है, वे आगे जाकर मौलाना आजाद में अपना पीजी कोर्स कर सकते हैं.
 
इस अवसर पर मौलाना आजाद के रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक अहमद ने कहा, ‘यह उर्दू पत्रकारिता के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. मुझे उम्मीद है कि इससे बड़ी संख्या में मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के छात्र लाभान्वित होंगे.
 
इस अवसर पर उर्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एहतेशाम अहमद खान, स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म के डीन, रेणुका किम, क्षेत्रीय निदेशक, दिल्ली क्षेत्रीय केंद्र और आईआईएमसी, नई दिल्ली के प्रो. प्रमोद कुमार और अन्य शिक्षक भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
 
माना जा रहा है किसमझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा. दोनों पक्षों के शिक्षकों की पहचान की जाएगी और उन्हें अकादमिक और अनुसंधान कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा और शिक्षकों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए आदान-प्रदान किया जाएगा.
 
यह समझौता तीन साल तक चलेगा. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों, विद्वानों, छात्रों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, दस्तावेजों का आदान-प्रदान, वैज्ञानिक सूचनाओं और प्रकाशनों के अलावा भी समझौता ज्ञापन का हिस्सा है.
 
छात्रों को इंटर्नशिप सुविधाओं, अनुसंधान परियोजनाओं, सम्मेलनों, सेमिनारों, कार्यशालाओं, बैठकों और अध्ययन कार्यक्रमों की भी पेशकश की जाएगी.