जानिएः कश्मीरी छात्रों ने कब किया मंत्रों की जगह कलमा का इस्तेमाल ?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
योग करती कश्मीरी छात्राएं
योग करती कश्मीरी छात्राएं

 

एहसान फाजली / श्रीनगर

राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय योग प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिसमें कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी भाग लिया था. यहां भाग लेने वाले मुस्लिम छात्रों को संस्कृत मंत्र के बजाय उन्हें पढ़ने के लिए कलमा दिया गया, ताकि उनके धार्मिक आदर्श को ठेस न पहुंचे.

इस बात का खुलासा कश्मीर के योग प्रशिक्षक शब्बीर अहमद डार ने किया, जिन्हें कश्मीर में योग के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाने वाला माना जाता है.

सरकार और अन्य गुरु इस बात पर जोर देते रहे हैं कि योग को बढ़ावा देने का उद्देश्य केवल स्वास्थ्य जागरूकता पैदा करना है. जबकि एक वर्ग गलतफहमियां पैदा करता रहा है. 

याद रहे कि आज 21जून है, आज पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है. जहां हर उम्र के लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं और आत्म-जागरूकता की भावना दिखा रहे हैं. योग के अभ्यासियों में न केवल छात्र, बल्कि शिक्षक भी शामिल हैं.

जेल में तो योग भी मनाया जा रहा है, लेकिन योग का नजारा प्रशासन में भी उत्साह के साथ देखा जा रहा है. जहां राजनीतिक नेता योग दिवस मना रहे हैं, वहीं सीमा पर पहरा देने वाले जवान इस मामले में किसी से पीछे नहीं हैं.

आपको बता दें कि योग प्रशिक्षक शब्बीर अहमद डार ने कश्मीर घाटी में योग की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई है. 38वर्षीय शब्बीर अहमद डार योग प्रशिक्षक हैं और जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के लिए भी काम करते हैं.

जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के बीच योग शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए, शब्बीर अहमद डार ने एक गैर-सरकारी संगठन, योग सोसाइटी ऑफ कश्मीर की भी स्थापना की, ताकि वे एक संगठित तरीके से काम कर सकें.

उन्होंने एक बयान में कहा कि एक बार उन्हें कश्मीर के एक उच्च पदस्थ अधिकारी का फोन आया कि उनका इकलौता बेटा नशे का आदी है और उन्हें इस संबंध में उनकी मदद की जरूरत है. उक्त उच्च पदस्थ अधिकारी का बेटा एक अच्छे स्कूल का अच्छा छात्र था, लेकिन वह ड्रग्स का आदी था.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/162427485708_Kashmiri_Yoga_Kalma_mantras_2.jpg

जब इस छात्र ने शब्बीर अहमद डार की देख-रेख में योग करना शुरू किया, तो उसमें एक असाधारण बदलाव आया. उन्होंने न सिर्फ नशा छोड़ दिया, बल्कि योग का पूरा कोर्स करने के बाद एक राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया.

शब्बीर अहमद डार राजधानी श्रीनगर के ‘पादशाही बाग’ में रहते हैं, लेकिन वह आमतौर पर वहां के मुगल गार्डन में योग की क्लास लेते हैं.

शब्बीर अहमद डार को शुरू में कश्मीर घाटी में योग सिखाते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे एक शारीरिक व्यायाम के रूप में पेश करना शुरू कर दिया, क्योंकि वहां के रूढ़िवादी नागरिक इसका विरोध कर रहे थे. हालाँकि, जब उन्होंने ड्रग्स और मानसिक तनाव से पीड़ित युवाओं को आकर्षित किया और योग करने के बाद बुरी आदतों को छोड़ना शुरू किया, तो उन्हें भी इस क्षेत्र में सफलता मिलने लगी.

याद रहे कि शब्बीर अहमद डार राज्य स्तरीय एथलीट थे. 1997में खेलते समय उन्हें गंभीर चोट लग गई, जिससे उनके लिए एथलेटिक्स में वापसी करना मुश्किल हो गया. इस बीच, उन्होंने योग को एक विकल्प के रूप में लिया.

उन्होंने 25 साल पहले एक छात्र के रूप में योग सीखना शुरू किया था. आज उन्हें योग प्रशिक्षक के रूप में जाना जाता है.

उन्होंने कहा कि योग को लेकर यह भ्रांति है कि यह एक धर्म विशेष के बारे में है. जब नहीं है. इसलिए उन्होंने योग को एक चिकित्सा और खेल के रूप में पेश किया, जिसके महत्वपूर्ण लाभ थे.

शब्बीर अहमद डार के प्रयासों से घाटी के लोगों को फायदा होने लगा. उन्हें बताया गया कि योग उनकी धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप नहीं करेगा, बल्कि योग मानव शरीर को सक्रिय रखता है, जिससे लोगों को बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है.

राजस्थान के उदयपुर में मोहनलाल सोखदिया विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय योग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी भाग लिया था. भाग लेने वाले मुस्लिम छात्रों को संस्कृत मंत्र के बजाय कलिमा का पाठ करने के लिए कहा गया था. आदर्श वाक्य माना जाता है कि इसमें देश भर से 49टीमों ने भाग लिया था. जिसमें उक्त छात्रों ने 15वां स्थान प्राप्त किया.

आपको बता दें कि केंद्रीय युवा सेवा और खेल मंत्रालय ने इसे एक खेल के रूप में मान्यता दी है, जिसे जम्मू-कश्मीर खेल परिषद ने भी मान्यता दी है.

शब्बीर अहमद डार ने 2010से खेल परिषद में प्रशिक्षक के रूप में काम किया है और कश्मीर में योग कोच बने हैं.

उनका संगठन वर्तमान में कश्मीर घाटी के सभी 10जिलों में कार्यरत है जहां सभी जिला मुख्यालयों पर शिविर लगाए जा रहे हैं, इन शिविरों में योग पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

पहला राष्ट्रीय योग महोत्सव और योगासन स्पोर्ट्स चौंपियनशिप 2014में श्रीनगर के एक निजी स्कूल में 2014में योग सोसाइटी ऑफ कश्मीर के तत्वावधान में आयोजित किया गया था.

शिविर के दौरान एक संगोष्ठी और योग कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें 19राज्यों के छात्रों ने भाग लिया.

अब शब्बीर अहमद डार की योग प्रशिक्षक के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति है.

उन्होंने 2016 की अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता की भी मेजबानी की है, जिसमें 12 देशों और 24 राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लिया था.

शब्बीर अहमद डार का कहना है कि उनके कई छात्रों ने योग शिक्षा में अच्छी नौकरी पाई है.

वह गर्व से कहते हैं कि उन्होंने अब तक कम से कम 50 योग शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है.