आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के फैकल्टी डॉ. मनसफ आलम और उनकी टीम को पेटेंट कार्यालय, ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा बौद्धिक संपदा के रूप में पेटेंट प्रदान किया गया है.
इस टीम के डॉ किरण चैधरी, शिवाजी कॉलेज, डीयू और अन्य संस्थानों के शोधकर्ता हिस्सा हैं.
डॉ आलम एसोसिएट प्रोफेसर, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, और कंप्यूटर विज्ञान विभाग में है.‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड डस्टबिन‘ नामक आविष्कार का मुख्य उद्देश्य विस्फोटक, रेडियोधर्मी सामग्री आदि जैसी हानिकारक वस्तुओं का पता लगाने की क्षमता को स्मार्ट बनाना है. साथ ही उसे डस्टबिन में डालना है.
सेंसर डस्टबिन के साथ लगे होते हैं, इसमें डंप की गई किसी भी हानिकारक वस्तु के बारे में संकेत भेजकर सूचित करते हैं.डॉ आलम ने कहा, “हमने इस कूड़ेदान को सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है जिससे कूड़ेदान इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से समझदारी से काम लेते हैं. यह निश्चित रूप से समाज के लिए एक उपयोगी उत्पाद होगा. ‘‘