मजहबी अर्थशास्त्र को समझना है तो पढ़िए-इस्लामिक कैपीटल मार्केट फिनांस

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
इस्लामिक वित्त को समझना है तो पढ़िए-इस्लामिक कैपीटल मार्केट फिनांस
इस्लामिक वित्त को समझना है तो पढ़िए-इस्लामिक कैपीटल मार्केट फिनांस

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

इस्लामिक वित्त पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए एक नई और महत्वपूर्ण किताब आई है ‘इस्लामिक कैपीटल मार्केट फिनांस’, जिसका लोकार्पण जमाअत इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में इंडियन सेंटर अॉफ इस्लामिक फिनांस के चेयरमैन एवं जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर जावेद अहमद खान ने किया.

किताब के लेखक हैं डॉक्टर अबुल हसन, जो किंग फहद यूनिवर्सीटी अॉफ पेट्रोलियम इंडस्ट्रीज सउदी अरब में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने दिरहम बिजनेस स्कॅल, यूके से पीएचडी की है. इस किताब को बोर्ड अॉफ इस्लामिक पब्लिकेशन, दिल्ली ने प्रकाशित किया है.
 
जमाअत इस्लामी हिन्द के वित्तीय सलाहकार डॉक्टर वकार अनवर ने लोकार्पण समारोह के उद्घाटन भाषण में कहा, इस किताब को वित्त में एमए के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम पुस्तक के रूप में तैयार किया गया है. सिकंदर अहमद , जो जमाअत के वित्त विभाग में कार्यरत हैं, किताब का परिचय देते हुए कहा कि इस्लामिक फिनांस के वैचारिक पहलू पर तो कई किताबें उपलब्ध हैं, पर इस किताब की विशेषता यह है कि इसमें व्यवहारिक पहलू पर प्रकाश डाला गया है.
 
डॉक्टर जावेद ने किताब पर अपना विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस्लामिक वित्त का विषय विगत आधी सदी से उभर कर सामने आया है. इस सिलसिले मं.। प्रोफेसर नजातुल्लाह सिद्दीकी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है.
 
किताब का महत्व यह है कि इस्लामिक वित्त से संबंधित पिछले 50 वर्षों में जो चर्चाएं रहीं हैं उसका निष्कर्ष इसमें पेश किया गया है. इसमें इस्लामिक वित्त से संबंधित व्यवहारिक समस्याओं पर बहस की गई है. इसे पाठ्यक्रम की जरूरत को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है. इस लिए प्रत्येक अध्याय के अंत में सवाल लिखे गए हैं.
 
इस अवसर पर किताब के लेखक ने इस्लामिक वित्त के क्षेत्र में अपनी यात्रा का परिचय कराया. लेखक का संबंध पश्चिम बंगाल से है. वह सिविल सर्विस में अंडमान में पोस्टेड थे, लेकिन सरकारी मुलाजमत त्याग कर इस्लामिक वित्त में उच्च शिक्षा और शोधकार्य आरंभ किया.