हैदराबादः स्कूल प्रशासन ने खुद संवारा दो निर्धन छात्रों का भविष्य

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-08-2021
दो छात्रों की शैक्षणिक यात्रा
दो छात्रों की शैक्षणिक यात्रा

 

शेख मुहम्मद यूनिस / हैदराबाद

शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की अनोखी कहानियां आए दिन सामने आती रहती हैं. लेकिन यह कहानी थोड़ी अलग है, क्योंकि यह स्कूल प्रशासन द्वारा समर्थित है. इसमें स्कूल ने एक गरीब और अनाथ बच्चे की शैक्षिक जिम्मेदारी को स्वीकार किया. उन्हें ऐसे समय में स्कूल में पढ़ने का मौका दिया गया, जब शिक्षा की लागत उनके लिए असहनीय थी. उनका भविष्य दांव पर लगा था.

देश में फीस को लेकर स्कूल प्रशासन से अक्सर विवाद की खबरें आती रहती हैं, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है कि किसी जरूरतमंद बच्चे की फीस माफ की गई हो.

लेकिन तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद के छात्र मोहम्मद सोहेल खान और मिर्जा ख्वाजा बेग की कहानी हैरान करने वाली है. इस संकट की घड़ी में स्कूल प्रशासन ने उनका साथ दिया. उनकी शैक्षणिक यात्रा नहीं रुकी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों छात्रों को अपने-अपने क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति मिली.

मुहम्मद सोहेल खान का सफर

सौ प्रतिशत छात्रवृत्ति के साथ, उन्हें पुणे, महाराष्ट्र के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान महिंद्रा यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज ऑफ इंडिया में मुफ्त प्रवेश मिला है.

ध्यान रहे कि यह दुनिया में स्थित 18 यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेजों में से एक है.

इस महाविद्यालय में दो वर्षीय इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम की शिक्षा का खर्च 42 लाख रुपये है.

मोहम्मद सोहेल खान को दो साल की शिक्षा के लिए शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति मिली है, उन्हें आवास और भोजन के साथ मुफ्त शिक्षा मिलेगी.

मुहम्मद सोहेल खान ग्रेस मॉडल स्कूल (सेंट मारिया हाई स्कूल) पानीपोरा कारवां के छात्र हैं. वह एक गरीब परिवार से आते हैं, उनके पिता अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑटो चलाते थे.

2017 में उसके पिता की मृत्यु हो गई.

उस समय सोहेल सातवीं कक्षा में थे.

ऐसे में स्कूल के प्रधानाध्यापक मिर्जा इरफान बेग और उनकी पत्नी आयशा सिद्दीकी ने सोहेल की शिक्षा की जिम्मेदारी संभाली.

उन्होंने गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में सब्जी मंडी क्षेत्र में एक स्कूल की स्थापना की.

विद्यार्थियों को मात्र 50 रुपये मासिक शुल्क पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है.

चूंकि बच्चों को इतनी कम फीस पर शिक्षा प्रदान करने में कठिनाइयाँ थीं. इसलिए स्कूल अधिकारियों ने विभिन्न कल्याणकारी संगठनों के साथ सहयोग किया.

आज भी स्कूल में नर्सरी से दसवीं तक के छात्रों की मासिक फीस 300 रुपये से 850 रुपये के बीच है.

स्कूल में गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है.

मोहम्मद सोहेल खान इस महीने के आखिरी हफ्ते में महिंद्रा कॉलेज में अपनी पढ़ाई शुरू करेंगे.

दरअसल मुहम्मद सोहेल जर्मनी के युनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज में भर्ती थे.

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण प्रस्थान में कठिनाइयां.

भारत में कोरोना की दूसरी लहर के चलते जर्मनी ने भारतीय छात्रों के आने पर रोक लगा दी गई थ्ज्ञी.

कॉलेज के अधिकारियों ने तब महिंद्रा कॉलेज, पुणे में प्रवेश की सुविधा प्रदान की.

महिंद्रा कॉलेज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और मानक कॉलेजों में से एक है.

क्वीन नूर वर्ल्ड यूनाइटेड कॉलेजों की अध्यक्ष हैं, जबकि लॉर्ड माउंटबेटन, एचआरएच प्रिंस चार्ल्स और नेल्सन मंडेला भी इसके अध्यक्ष रह चुके हैं.

यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज में पढ़ना एक छात्र का सपना होता है.

ग्रेस स्कूल के अधिकारियों और टीच फॉर इंडिया के मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद, मोहम्मद सोहेल खान को 100ः छात्रवृत्ति के साथ महिंद्रा कॉलेज में भर्ती कराया गया है.

आवाज-द वॉयस से बात करते हुए, मोहम्मद सोहेल खान ने कहा कि उनके पिता की मृत्यु के बाद, उनकी शैक्षिक संभावनाएं अंधकारमय हो रही थीं. ऐसे में इरफान और आयशा मैडम ने मेरी पढ़ाई की जिम्मेदारी संभाली. मैं उन दोनों का हमेशा आभारी रहूंगा.

मुहम्मद सोहेल खान ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करना उनका सपना है. वे शिक्षा प्राप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. सोहेल महिंद्रा कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करेंगे.

उन्होंने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं.

मुहम्मद सोहेल खान ने कहा कि वह भविष्य में शिक्षण में शामिल होने का इरादा रखते हैं.

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मिर्जा इरफान बेग और आयशा सिद्दीकी और दोनों छात्र


ख्वाजा बेगू की कहानी

इसके अलावा ग्रेस मॉडल स्कूल के एक अन्य छात्र ख्वाजा बेग ने हिमाचल प्रदेश के नवा ग्रोकुल धर्मशाला में इंजीनियरिंग में शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति के साथ प्रवेश लिया है.

ख्वाजा बेग के पिता टेलर हैं. वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. ख्वाजा बेग के तीन बड़े भाई छोटे-मोटे काम करते हैं. ख्वाजा बेग ने बारहवीं कक्षा डिस्टिंक्शन के साथ पास की.

स्कूल के अधिकारियों ने आठवीं कक्षा से ख्वाजा बेग की शिक्षा की जिम्मेदारी संभाली.

उन्हें स्कूल प्रशासकों और पवन मणि कांता (टीच फरंडिया अलमोनी) द्वारा इंटरमीडिएट की शिक्षा भी दी गई थी. ख्वाजा बेग जुलाई में हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हुए थे और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

ख्वाजा बेग ने कहा कि वह उच्च शिक्षा हासिल कर अपना भविष्य उज्जवल और उज्जवल बनाना चाहते हैं.

उन्होंने इरफान सर और आयशा मैडम और सभी शिक्षकों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद के लिए धन्यवाद दिया.

ग्रेस मॉडल स्कूल के प्रमुख इरफान बेग ने कहा कि वह मुख्य रूप से एक इंजीनियर थे.

उन्होंने लगभग पांच वर्षों तक सऊदी अरब में सेवा की.

सब्जी मंडी के रहने वाले मिर्जा इरफान बेग. सऊदी अरब से लौटने के बाद इरफान बेग ने गरीब बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया.

अंग्रेजी में एम.ए., एम.फिल के अलावा, उन्होंने अध्यापन के साथ तालमेल बिठाने के लिए बी.ए. किया.

उन्होंने कहा कि सब्जी मंडी क्षेत्र बाजारों से घिरा हुआ है.

यहां के गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए 50 रुपये की फीस से वर्ष 2002 में स्कूल की शुरुआत की गई थी.

उन्होंने कहा कि स्कूल में सैकड़ों गरीब, अनाथ और कमजोर बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है.

एसएससी में सफलता के बाद गरीबी के कारण कई बच्चे तुर्की की पढ़ाई कर रहे थे ऐसे में पिछले 4 साल से हर साल दो बच्चों को इंटरमीडिएट की शिक्षा दी जा रही है.

मिर्जा इरफान बेग ने कहा कि ख्वाजा बेग को भी इंटर की शिक्षा दी गई और उन्हें नवा गूगल धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश में प्रवेश मिल गया.

उन्होंने कहा कि स्कूल गरीब और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए हर संभव मदद करता है.

उन्होंने कहा कि उनका मिशन गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था, जिसके लिए वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं और सोहेल खान और ख्वाजा बेग के रूप में उनके प्रयास फलदायी रहे हैं.