गैराज वर्कर की बेटी चार्टर्ड एकाउंटेंट रिजल्ट में बनी टॉपर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
जरीना बेगम की कामयाबी पर  माता-पिता और भाई-बहन उनका मुंह मीठा करवाते हुए
जरीना बेगम की कामयाबी पर माता-पिता और भाई-बहन उनका मुंह मीठा करवाते हुए

 

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

‘ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते.’ अशआर की ये एक लाइन महाराष्ट्र की जरीना बेगम के पूरे किरदार को बयां करती है. वे गैराज में काम करने वाले एक कारीगर की होनहार बेटी हैं और उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट इंटरमीडिएट (ओल्ड कोर्स) के रिजल्ट में टॉपर बनकर अपने पिता का माथा ऊंचा कर दिया है.

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा जारी परीक्षा परिणामों के अनुसार जरीना ने 700 में से 461 (65.86 प्रतिशत) अंक प्राप्त करके इस परीक्षा में आल इंडिया रैंक-1हासिल की है.

अभावों को आड़े नहीं आने दिया

बेटों के सहारे जीवन की कल्पना करने वाले पितृसत्तात्मक समाज में आजकल बेटियां एक से बढ़कर एक कीर्तिमान गढ़ रही हैं और साबित कर रही हैं कि वे भी किसी से कम नहीं. मुंबई के निकट मुंब्रा की रहने वाली जरीना बेगम ने भी कामयाबी की डगर में अपने अभावों को कभी आड़े नहीं दिया.

परिवार में सुविधाएं नहीं

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प्रफल्लित मुद्रा में जरीना बेगम अपने पिता के साथ


जरीना के पिता यूसुफ खान एक गैराज में कारीगर हैं. जाहिर सी बात है कि परिवार में उतनी सुविधाएं नहीं हैं. जरीना ने सुविधाओं के लिए कभी शिकायत भी नहीं की और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही.

किराए का छोटा मकान

यूसुफ खान का यह परिवार किराए के एक छोटे मकान में रहता है, लेकिन जरीना ने अपने अब्बा के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए लगन से पढ़ाई करके इस प्रतिष्ठित परीक्षा में अव्वल मुकाम हासिल किया है.

किचिन में सारी रात पढ़ती थीं

जरीना ने बताया कि वह महज 300 वर्ग गज के अपने घर में माता-पिता और तीन भाईयों-बहनों के साथ रहती है और घर की किचिन में बैठकर सारी-सारी रात पढ़ा करती थी.

रैंक पाने की उम्मीद नहीं थी

अपनी एक मित्र से एग्जाम टॉप करने की खबर जरीना ने सुनी, तो उसे इस बात पर पहले तो यकीन ही नहीं हुआ. जरीना कहती हैं, “देश में अव्वल आने की तो छोड़ो, मुझे रैंक पाने की भी उम्मीद नहीं थी. मैं परीक्षा के समय बहुत डरी हुई थी.”

परिवार के कहने पर दी परीक्षा

जरीना ने बताया कि उन्होंने 2017 में इस कोर्स में एडमिशन लिया था और फिर दो साल का गैप हो गया, लेकिन परिवार के लगातार कहने पर उन्होंने पिछले साल एग्जाम दिया था. उन्होंने मेहनत भी बहुत की. वे सारी-सारी रात पढ़ती रहती थीं, क्योंकि यहां सुबह शोरशराबा बढ़ जाता है.

इसके अलावा चेन्नई के अजीत बी. शेनाय 62.29 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और पलक्कड (केरल) के सिद्धार्थ मेनन आर. 58.29 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

इन परीक्षाओं का आयोजन 2020 में किया गया था और ओल्ड कोर्स की परीक्षा में कुल 4094 छात्र-छात्राएं शामिल हुई थीं.