सेराज अनवर / पटना
किसी भी समाज के विकास में शिक्षा का सबसे बड़ा योगदान होता है. शिक्षा के प्रचार-प्रसार से ही लोगों की गरीबी दूर की जा सकती. इसी सोच के साथ बिहार के पूर्णिया जिले के छोटे से गांव मोहनी में मदीना यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त डॉ. इब्राहिम बुखारी शिक्षा की ज्योति जलाने निकल पड़े हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने और जाति-धर्म से ऊपर उठकर छोटे-छोटे टोले-मोहल्ले में दर्जनों स्कूलों, मदरसों के माध्यम से समाज को आगे बढ़ाने के लिए डॉ. इब्राहिम बुखारी सक्रिय हैं. हाल में बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने डॉ. इब्राहिम बुखारी को ‘आत्मनिर्भर बिहार’ कार्यक्रम में नवाज कर उनका हौसला बढ़ाया है.
कार्यक्रम में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव, एमएलसी व किशनगंज मातागुजरी मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. दिलीप जायसवाल, पूर्णिया की मेयर सविता सिंह तथा पूर्णिया सदर विधायक विजय खेमका भी मौजूद थे.
डॉ. बुखारी अल अमान एजुकेशनल सोसाइटी के चेयरमैन हैं. सोसाइटी की ओर कसबा के मोहनी पंचायत में जामिया फातमातुज्जहरा लील बनात के नाम से लड़कियों का स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र है. जामिया ने लड़कियों में जागरूकता लाने के लिए ’आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं, अशिक्षा और गरीबी दूर भगायें’ अभियान भी छेड़ रखा है. इस अभियान का असर है कि पर्दानशीं बेटियां भी शिक्षा के प्रति जागरुक हुई हैं. बुर्का में महिलाओं को सिलाई-बुनाई करते देखा जा सकता है.
बुखारी का गरीब परिवार की बेटियों को शिक्षित करने पर ज्यादा जोर है. गांव की बच्चियों को कम्प्यूटर ज्ञान के साथ टेलरिंग की भी शिक्षा दी जा रही है. मुस्लिम हो या गैरमुस्लिम सभी को शिक्षित करना उनके जीवन का उद्देश्य है. समाज के आखिरी पायदान पर खड़े बच्चों एवं बच्चियों तक तालीम की रोशनी पहुंचे, इसी जद्दोजहद में वे जुटे हैं.
हर टोला-मोहल्ला में अल अमान की तरफ से एबीसी के नाम से स्कूल खोले जा रहे हैं. इसी मकसद को सीने में लिए अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर डॉ. बुखारी सऊदी अरब से भारत अपने गांव लौटे थे.
उनका मानना है कि अगर एक बेटी शिक्षित होती है, तो वह दो परिवार को शिक्षित कर देती है. लड़की आगे चल कर मां बनती है और मां शिक्षित रहती है, तो घर संभाल लेती है. इसी मकसद के तहत उन्होंने लड़कियों का स्कूल खोला. जहां गरीब बच्चियों को मुफ्त में तालीम दी जाती है.
बुखारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को अमलीजामा पहनाने में जुटे हैं. सोसाइटी न केवल बेटियों की तालीम के लिए फिक्रमंद हैं, बल्कि गरीबी मिटाने की कवायद में भी जुटी है. गरीबी और अशिक्षा सीमांचाल की सबसे बड़ी समस्या है और इन दोनों के इलाज के बिना सीमांचाल की बदहाली दूर नहीं हो सकती है.
यह कस्बा एक पिछड़ा इलाका है. यहां शिक्षा को आम करने की परिकल्पना भी करना दुश्वार कदम है. मगर डॉ. बुखारी की शानदार पहल से मोहनी पंचायत में उम्मीद की लौ जल रही है. औपचारिक पढ़ाई के अलावा हिंदी-अंग्रेजी, विज्ञान के साथ-साथ रोजगारपरक और तकनीकी शिक्षा की भी जानकारी दी जा रही है.
समाज के अल्पसंख्यक बच्चियों के बीच शिक्षा के प्रसार के लिए डॉ. बुखारी जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. उनकी मेहनत रंग ला रही है. कस्बा के आस पास की पर्दानशीं बेटियां भी मनोयोग से तालीम ले रही हैं. मोहनी को शत-प्रतिशत शिक्षित करने का बुखारी का लक्ष्य है. डॉ. बुखारी कहते है, “इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सरकार और प्रशासन का सहयोग भी जरूरी है.”