बापू स्कूल और चाचा नेहरू मदरसा 4 हजार बच्चों को दे रहा है तालीम

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-03-2021
चाचा नेहरू मदरसा, अलीगढ़
चाचा नेहरू मदरसा, अलीगढ़

 

रेशमा/अलीगढ़. गलियों में और रेलवे स्टेशन पर घूमने वाले बच्चे, अन्य पीड़ित परिवारों के बच्चों और रुपये-पैसों की तंगी के चलते पढ़ाई से महरूम रहने वाले बच्चों को पढ़ाई का एक मौका देने के लिए चाचा नेहरू और बापू आगे आए हैं. अलीगढ़ में चाचा नेहरू, तो दिल्ली में बापू ऐसे बच्चों को तालीम दे रहे हैं. मौजूदा वक्त में करीब 4 हजार बच्चे अलग-अलग क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं. चाचा नेहरू के नाम से मदरसा चल रहा है, तो बापू के नाम से पब्लिक स्कूल. लेकिन मदरसे में उर्दू के साथ हिंदी, अंग्रेजी और गणित भी पढ़ाई जा रही है. मदरसा और स्कूल को चलाने का काम उपराष्ट्पति रहे हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी कर रही हैं.

अलीगढ़ में तीन, दिल्ली में एक स्कूल

चाचा नेहरू मदरसा के प्रिंसीपल राशिद अली ने बताया अलीगढ़ में चलने वाले चाचा नेहरू मदरसे में 3450 बच्चे पढ़ते हैं. यहां हर विषय की पढ़ाई कराई जाती है. इस मदरसे में 50 बच्चे ऐसे भी हैं, जो अलीगढ़ से बाहर दूसरे राज्य और शहर के हैं. कुछ पीड़ित परिवारों के बच्चे भी हॉस्टल में रह रहे हैं.

हाल ही में एक ऐसी बच्ची लाई गई है, जिसकी मां दिमाग से कमजोर है. उस बच्ची को सलमा अंसारी ने अपनी मां का नाम जेहरा काजमी दिया है. कुछ दिन पहले कुल चार बच्चे बाहर के लाए गए हैं.

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चाचा नेहरू मदरसा, अलीगढ़


इस मदरसे के अलावा अलीगढ़ में ही अलनूर स्कूल और चाचा नेहरू के नाम से ही एक जूनियर हाईस्कूल भी चलता है. यहां पर करीब 200-200 बच्चे पढ़ते हैं. यह सभी अलीगढ़ के बच्चे हैं.

दिल्ली का बापू पब्लिक स्कूल

राशिद अली बताते हैं कि इसी सीरिज का एक स्कूल दिल्ली में भी चल रहा है. कोरोना-लॉकडाउन से पहले बापू पब्लिक स्कूल में करीब 100 बच्चे थे, लेकिन अब सिर्फ 30 बच्चे ही बचे हैं.

हाल ही में एक बच्चा दिल्ली से अलीगढ़ भेजा गया है. बच्चे की मां घरों में काम करती है. पिता शराब पीता है. घर में बीवी और बच्चे से मारपीट करता है. मां पढ़ाना चाहती थी, लेकिन पैसे नहीं थे. अब यह बच्चा अलीगढ़ में ही रहकर पढ़ेगा.

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चाचा नेहरू मदरसा, अलीगढ़ में बच्चे स्वतंत्रता दिवस की रिहर्सल करते हुए 
 

स्पोर्ट्स में स्टेट लेवल की तैयारी

सलमा अंसारी के स्कूल और मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं कर रहे हैं. उन्हें खेलने का मौका भी दिया जा रहा है. हर बच्चा अपने शौक के हिसाब से खेल चुनता है. रकबर के लड़के ने कराटे सीखने के बाद जिलास्तर पर प्रतियोगिता जीती. अब वो स्टेट लेवल की तैयारी कर रहा है. इसी तरह से दूसरे बच्चे भी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं.