एएमयूः प्रो. असगर अब्बास के इंतकाल पर रंज-ओ-गम की लहर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
एएमयूः प्रो. असगर अब्बास के इंतकाल पर रंज-ओ-गम की लहर
एएमयूः प्रो. असगर अब्बास के इंतकाल पर रंज-ओ-गम की लहर

 

अलीगढ़. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के सेवानिवृत्त शिक्षक, सर सैयद अकादमी के पूर्व निदेशक और उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. असगर अब्बास का नई दिल्ली के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उनकी उम्र 80 साल थी. गुरुवार सुबह विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

एएमयू के कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं प्रो. असगर के परिवार और एएमयू समुदाय के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और इस कठिन समय में उनके शुभचिंतकों के लिए प्रार्थना करता हूं. वह एक निस्वार्थ व्यक्ति थे, जिन्होंने सर सैयद अध्ययन में अपने मौलिक विद्वानों के काम के लिए एक बुद्धिजीवी और एक अनुभवी शिक्षाविद के रूप में प्रशंसा और सम्मान अर्जित किया.’’

कुलपति ने आगे कहा, ‘‘सर सैयद पर प्रोफेसर असगर की किताबें पढ़कर खुशी हो रही है.’’ उनका सम्मोहक शोध सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक चुनौतियों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जब सर सैयद ने शैक्षिक आंदोलन शुरू किया था और कैसे उन्होंने अपने युग की मांगों को अनुकूलित किया था. समकालीन शोधकर्ता प्रोफेसर असगर के विद्वतापूर्ण कार्यों से सीख सकते हैं.

एएमयू के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा, ‘‘प्रोफेसर असगर अब्बास ने उन सभी मूल्यों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व किया, जिन्हें हम एएमयू में महत्व देते हैं. सर सैयद के जीवन और सेवाओं पर समृद्ध सामग्री और ताजा व्याख्या प्रदान करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.’’

प्रख्यात विद्वान और फारसी अनुसंधान संस्थान के मानद निदेशक, प्रो. आजमी दख्त सफवी ने कहा, ‘‘प्रोफेसर असगर ने खुद को शिक्षण और प्रशासन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि सर सैयद के बौद्धिक और सामाजिक जीवन के लिए मूल्यवान और सार्थक सेवाएं प्रदान कीं और एक बहुमूल्य विरासत छोड़ी है. .. उनकी कई पुस्तकों और शोध पत्रों में बताया गया है कि 1857 के विद्रोह के बाद सर सैयद ने शिक्षा के माध्यम से आम भारतीयों को सुधारने के अपने विभिन्न प्रयासों के माध्यम से मुगल साम्राज्य के पतन का जवाब कैसे दिया.

प्रोफेसर एस इम्तियाज हसनैन (डीन, कला संकाय) ने कहा, ‘‘प्रोफेसर असगर ने एक अच्छा जीवन जिया. वह उच्चतम गुणवत्ता के विद्वान, सहकर्मियों और छात्रों के लिए एक महान गुरु और एक अद्भुत इंसान थे, जिन्होंने सभी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके शोक संतप्त परिवार और एएमयू समुदाय के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.’’

उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अली जौहर ने कहा, ‘‘प्रोफेसर असगर विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे जिन्होंने उर्दू विभाग की प्रतिष्ठा को बहुत बढ़ाया. उन्होंने अपने व्यक्तित्व से संकाय और छात्रों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया.’’ सर सैयद अकादमी के उप निदेशक डॉ. मुहम्मद शाहिद ने कहा, ‘‘प्रोफेसर असगर ने अपने ज्ञान और प्रतिभा से कई लोगों के जीवन को छुआ है और अनगिनत छात्रों को सही रास्ते पर चलने में मदद की है.’’

एएमयू के उर्दू विभाग से पीएचडी पूरी करने के बाद प्रो. असगर अब्बास 1974 में एक युवा व्याख्याता के रूप में एएमयू में शामिल हुए. बाद में उन्हें रीडर और फिर प्रोफेसर नियुक्त किया गया. उन्होंने कई वर्षों की कड़ी मेहनत के साथ अकादमिक सेवाएं देकर एक अमिट छाप छोड़ी. प्रोफेसर असगर 2002 में एएमयू से सेवानिवृत्त हुए थे. उन्हें 2020 में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का मौलाना आजाद पुरस्कार मिला.

प्रोफेसर असगर 17 से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिनमें सर सैयद की पत्रकारिता, सर सैयद की यात्राः लंदन की यात्रा, सर सैयद, इकबाल और अलीगढ़ और उर्दू का सौंदर्य साहित्य और अलीगढ़ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. उन्होंने कई लेख लिखे और कई अन्य अकादमिक पुस्तकों का संकलन किया.