बदहाल है अहमदाबाद की ऐतिहासिक अलीफ खान मस्जिद

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 02-09-2021
बदहाल है अहमदाबाद की ऐतिहासिक अलीफ खान मस्जिद
बदहाल है अहमदाबाद की ऐतिहासिक अलीफ खान मस्जिद

 

आवाज- द वॉयस/ अहमदाबाद

ढोलका गुजरात के अहमदाबाद से 30 किमी की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है. इस शहर में अलिफ खान मस्जिद, जिसे आमतौर पर अलिफ खान भोकाई खान मस्जिद कहा जाता है, और यह ईंटों से बनी एक शानदार इमारत है. इसे सुल्तान महमूद बेगरा के शासनकाल के दौरान बनाया गया था. पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण आज 600 वर्ष पुरानी मस्जिद जर्जर अवस्था में है.

ढोलका शहर में स्थित यह भव्य मस्जिद वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है.

इस मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मसूद खान ने कहा, “इस मस्जिद का निर्माण कार्य 1458 में अलीफ खान भोकाई द्वारा शुरू किया गया था और अलीफ खान मस्जिद का निर्माण 1511 में पूरा हुआ था. इस मस्जिद में एक स्तंभ है. यह पूरी मस्जिद ईंटों से ही बनी है.अल्फ खान मस्जिद अल्फ खान मस्जिद बहुत चौड़ी है. मस्जिद का भीतरी भाग 150 फुट लंबा और 42 फुट चौड़ा है. इस मस्जिद के दोनों ओर 120 फुट ऊंची मीनारें हैं. दो टावरों के बीच लंबे मेहराब थे जो 1819 के भूकंप में ढह गए थे.”

वर्तमान में यह मस्जिद वीरान है अब यहां केवल ईद-उल-फितर और ईद-उल-अधा की नमाज अदा की जाती है.

मसूद खान ने कहा कि अलीफ खान की मस्जिद ढोलका शहर के बाहरी इलाके में स्थित है. मस्जिद के बगल में खान तालाब नामक एक तालाब है. उन्होंने इस तालाब का इस्तेमाल पूजा-अर्चना के लिए कुंड के रूप में किया. मस्जिद का निर्माण चूने की मदद से किया गया है और इसके प्लास्टर को खूबसूरती से रंगा गया है.

इस बीच इस ऐतिहासिक अलिफ खान मस्जिद का निरीक्षण करने पहुंचे मोहसिन अली वारसी ने कहा कि अलीफ खान मस्जिद अपने खूबसूरत गुंबद के लिए मशहूर है. उस समय दरिया खान का गुंबद जो अहमदाबाद में है और दूसरा अलिफ खान खान मस्जिद का गुंबद था जो केवल ईंटों से बना था.

मस्जिद में सफेद प्लास्टर था. उसके ऊपर परत चढ़ा दी गई. इस पर एक सुंदर काली पेंटिंग भी है. ऐसा लग रहा था मानो काली स्याही से रेशमी कपड़े पर एक सुंदर डिजाइन बनाया गया हो.

अलीफ खान की मस्जिद इतनी खूबसूरत और आकर्षक होने के बावजूद वीरान होती जा रही है. इस मस्जिद के कुछ हिस्से पहले ही ध्वस्त हो चुके थे और कुछ हिस्सा दो महीने पहले आए तूफान के दौरान ढह गया था. लेकिन अभी तक पुरातत्व विभाग की नजर इस पर नहीं पड़ी है.

इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता मसूद खान ने कहा कि पुरातत्व विभाग ने मस्जिद के चारों ओर एक अहाते की दीवार बना ली है लेकिन परिसर की दीवार का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया है. हाल ही में आए तूफान से भी नुकसान हुआ है. मस्जिद का एक हिस्सा, एक मस्जिद की मीनार के ढहने की आशंका को बढ़ाते हुए उसे एक याचिका भी पेश की गई.  लेकिन अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है. इससे अलीफ खान मस्जिद खंडहर बनती जा रही है.

इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए संबंधित विभागों और एजेंसियों को तत्काल मरम्मत और काफी रखरखाव की जरूरत है.

अलीफ खान की मस्जिद वास्तुकला का एक दुर्लभ उदाहरण है. देखना होगा कि पुरातत्व इस ऐतिहासिक धरोहर को जिंदा रखने के लिए कब पहल करेगा.