नीतीश कुमार के नाम प्रो अख्तरूल वासे की चिट्ठीः कोई आपकी नीतियों पर पानी फेर रहा है

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 11-04-2021
नीतीश कुमार को प्रो अख्तरूल वासे की चिट्ठीः कोई आपकी नीतियों पर पानी फेर रहा है
नीतीश कुमार को प्रो अख्तरूल वासे की चिट्ठीः कोई आपकी नीतियों पर पानी फेर रहा है

 

आवा द वाॅयस / नई दिल्ली

फ्लाईओवर के निर्माण के लिए पटना के अशोक राजपथ स्थिति ऐतिहासिक पुस्ताकालय ‘खुदाबख्श लाईब्रेरी’ के एक हिस्से को तोड़े जाने की खबर जब से आई है बुद्धिजीवियों में बेचैनी देखी जा रही है. ऐसे ही लोगों में एक हैं पद्मश्री से सम्मानित एवं जोधपुर के  मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर अख्तरुल वासे. उन्हांेने खुदाबख्श लाइब्रेरी के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर न केवल अपनी चिंता जाहिर की है.
 
उन्हें यह कहकर अगाह करने की कोशिश की है कि कोई उनकी छवि धुमिल करने की साजिश रच रहा है, इसलिए लाइब्रेरी तोड़ने की योजना तुरंत खारिज कर दें.
 
यहां प्रस्तुत है नीतीश के नाम प्रो. अख्तरूल वासे की चिट्टी

माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार  जी,
आदाब !
बिहार को जिस तरह आपने स्वस्थ बनाया है, मैं आपके साहस को सलाम करता हूँ. मुझे याद है कि 15 वर्ष पहले एक समय था जब लोग बिहार जाने से डरते थे, बिहारी होना अपमानजनक था, लोग अपनी मिट्टी की पहचान छिपाते थे, परन्तु आपने अपनी क्षमताओं, रणनीतियों और मजबूत योजनाओं को धरातल पर लाकर सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है और राज्य को विकास के नए पाठ लिखकर विश्व मानचित्र पर लाया है.

यहां तक कि माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को भी यह स्वीकार करना पड़ा कि बिहार बदल रहा है. साथ ही आप विद्वा्न हैं. उर्दू प्रेमी हैं और अल्पसंख्यकों को उनके उचित अधिकार देने में विश्वास करते हैं.
अन्य नेताओं की तरह शोर करने के बजाय, आप चुपचाप न्याय को धरातल पर लाते हैं.

काम करते हैं और बदले में लोगों से मजदूरी मांगते हैं, लेकिन हाल के दिनों में, आपकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे चिंता की लहर फैल गई है. ताजा मामला बरसों पुरानी खुदाबख़्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के एक हिस्से के विध्वंस का है. फ्लाईओवर बनाने के बहाने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने पुस्तकालय पर बुलडोजर चलाने का फैसला किया है.

नीतीश जी! आप खुद जानते हैं कि यह ’राष्ट्रीय धरोहर बिहार के माथे का झूमर है, अगर इसकी कड़ी टूटी, तो राज्य का चेहरा कुरूप हो जाएगा. पुस्तकालय का विध्वंस मूलरूप से एक धार्मिक स्थान का विध्वंस है, इसे कोई भी बर्दाश्त नहीं करेगा. आप जानकार और उर्दू समर्थक हैं. मुझे याद है कि आपने राजभाषा उर्दू निदेशालय को अपनी रुचि से नया जीवन दिया है. राज्य में उर्दू के व्यावहारिक कार्यान्वयन, अरबी एवं फ़ारसी के अस्तित्व के लिए काम किया है. 

प्रश्न  यह है कि वह कौन सी शक्तियां  हैं जो आपकी स्वच्छ नीति को धूमिल कर रही हैं ? यदि अशोक राजपथ पर ट्रैफिक जाम की समस्या है, तो इस कारण शिक्षा प्रणाली को समाप्त नहीं किया जा सकता है. आप जानते हैं कि देश-विदेश से प्रति दिन सैकड़ों ’पुस्तक प्रेमी’ यहां आते हैं.

बहुत से बच्चे सिविल सेवा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और ज्ञान की प्यास बुझाते हैं. हम केवल इतना कह सकते हैं कि आप नए इतिहास बनाने के लिए जाने जाते हैं, आप पीछे चलने के बजाय अपना अलग रास्ता बनाते हैं. जन-विरोधी तूफान, चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, आप तक पहुंचते ही रुक जाता है. जो लोग षड्यंत्र करके आपके आकार को कम करना चाहते हैं वे खुद बौना हो जाते हैं.

 आप स्वयं इस प्राचीन पुस्तकालय के महत्व से अवगत हैं और ’धरोहर’ को बचाए रखने में रुचि रखते हैं. सड़कों को चैड़ा किया जाना चाहिए, फ्लाईओवर के निर्माण से किसी को भी इनकार नहीं, परंतु  यह विकास ऐतिहासिक विरासत को तोड़ कर हो, तो कोई भी इसे स्वीकार नहीं करेगा.