मौलाना अरशद मदनी सातवीं बार जमीयत अध्यक्ष चुने गए

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
मौलाना अरशद मदनी सातवीं बार जमीयत अध्यक्ष चुने गए
मौलाना अरशद मदनी सातवीं बार जमीयत अध्यक्ष चुने गए

 

नई दिल्ली. देश की स्थिति को देखते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक में मौलाना अरशद मदनी की लगातार सातवीं  बार अध्यक्ष चुना गया. इस दौरान महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों, विशेष रूप से शिक्षा और मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन पर गहन चिंतन किया गया.

बैठक में कार्य समिति के सदस्यों ने कई गंभीर मुद्दों पर खुलकर चर्चा की. जमीयत के अगले कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए राज्य इकाई की कार्य समिति की सिफारिशों की समीक्षा भी की गई. इस दौरान सर्वसम्मति से हजरत मौलाना अरशद मदनी को अध्यक्ष चुना गया.

बताया गया कि उनके नेतृत्व में लॉकडाउन में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से नागरिकों की गई निःस्वार्थ सेवा, दिल्ली दंगा पीड़ितों, अभियुक्तों को कानूनी और सामाजिक सहायता, तब्लीगी जमात पर नकारात्मक प्रोपेगंडा को लेकर प्रशंसनीय कार्य किए गए.

पिछले कार्यकाल में जमीयत के 1करोड़ 15लाख सदस्य थे, जबकि इस वर्ष संख्या में वृद्धि हुई है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद शिक्षा के प्रचार प्रसार पर विशेष ध्यान दे रहा है, जिसमें स्कूलों और मदरसों की स्थापना के साथ आधुनिक और तकनीकी शिक्षा लेने वाले गरीब और जरूरतमंद छात्रों को लगातार छात्रवृत्ति देने का भी काम शामिल है.

इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इस वर्ष 50लाख रुपये से बढ़ा कर 1करोड़ रूपये छात्रवृति दी गई, इसके लिए देश भर से लगभग 600छात्रों का चयन किया गया. उनमें से अब तक लगभग 500छात्रों को छात्रवृति दी जा चुकी है. बैठक को संबोधित करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने छात्रवृति की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला.

कहा कि हमारी इस छोटी सी कोशिश से बहुत से ऐसे होनहार और मेहनती बच्चों का भविष्य संवर सकता है. मौलाना ने कहा आजादी के बाद से आने वाली सभी सरकारों ने एक निर्धारित नीति का पालन करते हुए मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में पीछे कर दिया.

सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि की है. उन्हांेने कहा कि मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में दलितों से भी पीछे हैं. मौलाना मदनी ने कहा कि हम एक बार फिर अपनी बात दोहराना चाहेंगे कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांध कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएं और जीवन में कामयाबी के लिए हमारी नई नस्ल को शिक्षा का असली हथियार बनाएं.

हमें ऐसे स्कूलों और कालेजों की बहुत जरुरत है जिन में धार्मिक पहचान के साथ हमारे बच्चे उच्च शिक्षा बिना रूकावट हासिल कर सकें.मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत का दायरा बहुत बड़ा है. वह हर क्षेत्र में कामयाबी के साथ काम कर रही है. एक तरफ जहां यह मकतब और मदरसा खोल रही है, वहीं दूसरी तरफ उसने आम शिक्षा पर भी जोर देना शुरू कर दिया है.

इस मौके पर मौलान अरशद मदनी के अलावा मुफ्ती सय्यद मासूम साकिब नाजिम उमूमी जमीयत उलेमा ए हिंद, मौलाना हबीबुर्रहमान कासमी, मौलाना सय्यद असजद मदनी, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना मुश्ताक अंफर, मुफ्ती गयासुद्दीन, मौलाना अब्दुल्लाह नासिर, हाजी हसन अहमद कादरी, हाजी सलामतुल्लाह आदि मौजूद थे.