हरजिंदर
यह शिकायत आम है कि आजादी के बहुत से नायकों को हम भूल गए. उस लड़ाई में कईं ऐसे लोग भी शामिल हुए जिनका आज कोई नाम तक नहीं जानता और बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके बारे में हम बहुत कम जानते हैं. लेकिन इतिहास ने सबसे ज्यादा नजरंदाज किया उन औरतों को जिन्होंने समाज की तमाम मान्यताओं और प्रथाओं से लड़ते हुए आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। ऐसा ही एक नाम है गुलाब कौर का जिनका जिक्र अक्सर इस पूरे इतिहास में कहीं नहीं सुनाई देता.
हम गुलाब कौर के शुरुआती जीवन के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते. बस इतना ही पता है कि उनका जन्म संगरूर के गांव बक्शीवाला में 1890 में हुआ था. जैसा कि उस जमाने में होता था बहुत कम उम्र में ही उनकी शादी एक किसान युवा मान सिंह से कर दी गई थी.
स्वतंत्रता की अनकही कहानी-7
आर्थिक संकटों से गुजर रहे पंजाब में खेती किसानी से गुजर.बसर उन्हें बहुत मुश्किल लग रही थी। इसलिए दोनों ने तय किया कि अमेरिका जाकर अपनी किस्मत आजमाते हैं.यह तय हुआ कि पहले वे फिलीपींस जाएंगे और फिर कुछ समय बाद वहां से अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे. कहा जाता है कि जब वे रास्ते में ही थे तो उनकी मुलाकात गदर पार्टी के लोगों से हुई और गुलाब कौर उनके प्रभाव में आ गईं.
हालांकि कुछ जगह यह कहा गया है कि जब वे मनीला में थीं तो उन्होंने गदर पार्टी के एक नेता का भाषण सुनाए जिससे वे इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने सब कुछ छोड़ कर देश को आजाद करने का संकल्प ले लिया.गदर पार्टी के नेता यह समझते थे कि औरतें आजादी के आंदोलन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैंए इसलिए पार्टी के नेताओं ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया.
जल्द ही उनका नाम पार्टी के प्रमुख और सबसे सक्रिय नेताओं में गिना जाने लगा. वे पूरे फिलीपींस में घूम.घूम कर गदर पार्टी का प्रचार करतीं और वहां रहने वाले भारतीयों से उसमें शामिल होने के लिए कहतीं.इस बीच उनके पति मान सिंह ने अमेरिका जाने की तैयारियां पूरी कर लीं थीं. लेकिन गुलाब कौर को लगा कि ज्यादा महत्वपूर्ण काम वह है जो वे फिलीपींस में रह कर कर रही हैं.
उन्होंने अमेरिका जाने से इनकार कर दिया और मान सिंह को अकेले ही वहां जाना पड़ा जहां जाने के लिए वे दोनों एक साथ निकले थे.इस बीच 1917 में भारत में क्रांति करने की जो योजना गदर पार्टी ने बनाई थी वह सिरे नहीं चढ़ सकी और इससे जुड़े लोगों को गिरफ्तार करके सजा दे दी गई। वह योजना अमेरिका में बनी थी.
नई योजना योजना फिलीपींस और सिंगापुर वगैरह में बनी और यह पहले जितनी बड़ी नहीं थी. इसमें गुलाब कौर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी. इस अभियान के लिए उन्हें एक अखबार का रिपोर्टर बना दिया गया. उनके पास बाकायदा अखबार का पहचान पत्र भी था.
वे एसएस कोरिया नाम की शिप पर बैठकर अपने कुछ साथियों के साथ भारत पहंुची और जल्द ही पंजाब में सक्रिय हो गईं। उनका काम था पार्टी के लिए नए सदस्यों की भर्ती करना और जो पुराने भरोसेमंद सदस्य हैं उन तक हथियार पहंुचाना.
काफी दिनों तक यह सब योजना के हिसाब से ही चलाए लेकिन फिर एक दिन गुलाब कौर को गिरफ्तार कर लिया गया. पता नहीं यह किसी की मुखबिरी के कारण हुआ या फिर उन्हें शक के आधार पर पकड़ा गया.. गुलाब कौर को दो साल की सजा दी गई और उन्हें लाहौर के शाही किले में बनी जेल में डाल दिया गया. वहां उन पर काफी अत्याचार हुए। वे काफी बीमार भी हो गईं थीं। 1931 की एक सुबह वे जेल में मृत पाई गईं.
जारी.....
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )