हिंदुस्तान मेरी जानः आजादी के दीवाने मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 11-08-2022
मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

 

डॉ. अभिषेक कुमार सिंह/ पटना

हिंदुस्तान के इस आज़ादी के अमृत महोत्सव में मौका है ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बात करने का, जिनको समय के साथ भुला दिया गया है. नई पीढ़ी को आजादी के दिन दीवानों के बारे में जानना चाहिए उनमें से एक हैं मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली.

मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ उच्च कोटि के इस्लामिक स्कॉलर भी थे. वह मध्य प्रदेश में  मुफ्ती-ए-आजम के रूप में प्रसिद्ध थे और इस प्रदेश की हिन्दू मुस्लिम जनता में उनकी एक मजबूत पकड़ थी.

मुफ्ती अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली का जन्म 13 अगस्त, 1925 को हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा मस्जिद मलंग शाह और जामिया अहमादिया, भोपाल में हुई थी. अपनी पढ़ाई के दौरान वह 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ भोपाल के काज़ी शिविर में हुई एक लड़ाई का अहम हिस्सा बने.

अब्दुल रज़्ज़ाक खान भोपाली दारूल उलूम देवबंद में जुलाई, 1952 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए शामिल हुए. जहां उनका अध्ययन स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हुसैन अहमद मदनी एवं अन्य मौलवियों के साथ हुआ.

1957 में उन्होंने दर्से निज़ामी का पाठ्यक्रम का अध्ययन पूरा किया. 1958 में उन्होंने भोपाल में "मदरसा जामिया इस्लामिया अरबिया”की स्थापना की, जो वर्तमान में भोपाल का सबसे पुराना और सबसे बड़े इस्लामी मदरसों में से एक है.

स्वतंत्रता के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य में  "जमीअत उलेमा ए हिंद" को खड़ा करने में काफी अहम योगदान दिया था. 1958-1968 तक उन्हें दारूल कदहा (इस्लामी दरबार) का उपमुफ्ती नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें (1968-1974) तक दारुल कदहा के मुख्य न्यायाधीश के रूप कार्य किया. 1974 - 83 तक उन्होंने भोपाल शहर के मुफ्ती-ए-आज़म के रूप में नेतृत्व किया.

मुफ्ती ने (1991-1995) तक  जमीअत उलमा ए हिन्द के जनरल सेक्रेटरी के रूप कार्य किया. उन्होने विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ मिलकर हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल देकर धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दिया.

उन्हें जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए किया गया. 26 मई 2021 को 95 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया.