रामनवमी पर हिंदू-मुस्लिम एकता के कारण हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 08-04-2022
जालियांवाला बाग नरसंहार पर बना एक चित्र
जालियांवाला बाग नरसंहार पर बना एक चित्र

 

साकिब सलीम

“उन्होंने (ब्रिटिश पुलिस ने) उसकी (घोलम जिलानी की) गुदा में डंडा मारा. साथ ही, उनकी हालत बेहद दयनीय थी. मैंने उसका पेशाब और मल बाहर निकलते देखा. हम सभी, जो बाहर थे, पुलिस ने कहा कि जो लोग सबूत नहीं देंगे, उनके साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा.” यह 1919में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अमृतसर के हाजी शम्सुद्दीन द्वारा दर्ज किया गया बयान था.

क्या कोई विश्वास कर सकता है कि एक स्थानीय मस्जिद में इमाम गुलाम जिलानी को हिंदू त्योहार रामनवमी के आयोजन के अपराध के लिए प्रताड़ित किया गया था?

अपने देश की छाती में 13अप्रैल, 1919को ब्रिटिश सैनिकों द्वारा किए गए जलियांवाला बाग हत्याकांड हमेशा एक नासूर की तरह चुभता है,लेकिन इस नरसंहार के पीछे के कारण जनता की स्मृति से मिटा दिए गए हैं.

जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर कर्नल डायर द्वारा की गई गोलीबारी का मुकाबला करने के लिए शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के सामने तात्कालिक खतरे को इतिहास की किताबों ने आराम से खामोश कर दिया है.

सच यह है कि साम्राज्य अपने दमनकारी शासन के खिलाफ हिंदू, मुस्लिम और सिख एकता की संभावनाओं से भयभीत था. 9अप्रैल, 1919को जब पंजाब के मुसलमानों द्वारा रामनवमी मनाई गई, तो अंग्रेजों का डर बढ़ता चला गया.

नरसंहार के बाद ब्रिटिश संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था, "9 (अप्रैल) को वार्षिक रामनवमी जुलूस आयोजित किया गया था, अधिकारियों ने फैसला किया कि इसमें हस्तक्षेप करना अनुचित था. इसे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सार्वजनिक बंधुत्व का दृश्य बनाया गया था. आयोग आबादी के गुस्से को अभी भी खतरनाक स्थिति में होने की ओर इशारा करता है; और सुझाव देता है कि हिंदू-मुस्लिम एकता की वैसे तो प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन अभी इसकी वजह केवल सरकार के खिलाफ एकता है. यह जुलूस को "अत्यधिक देशद्रोही और भड़काऊ चरित्र" का है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "हालांकि यह विशुद्ध रूप से हिंदू त्योहार है, यह इस अवसर पर यहां (अन्य जगहों की तरह) हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा समान रूप से मनाया जाता था. बहुत सार्वजनिक भाईचारा था. मुसलमानों द्वारा रखे गए बर्तनों में से हिंदू पानी पी रहे थे; हिंदू देवी-देवताओं के जयकारे लगाए जा रहे थे और भीड़ ने हिंदू-मुस्लिम एकता के नारे लगा रही थी.”

हिंदू मुस्लिम एकता साम्राज्य के लिए कितना गंभीर खतरा था, इसका अंदाजा जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद बनी हंटर कमेटी की रिपोर्ट में उस साल रामनवमी के बारे में जो कहा गया था, उससे लगाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें लगता है कि यह स्पष्ट है कि अमृतसर में" एकता "की दिशा में बड़े पैमाने पर और वास्तव में राजनीतिक हित में प्रयास किए गए थे.

अमृतसर में राजनीतिक भावना की अशांत स्थिति सरकार की तुलना में दो युद्धरत पंथों को एक आम शिविर में फेंकने में मदद करेगी और मदद करेगी. विशेष रूप से डॉ किचलू का प्रभाव अमृतसर में एकता और निस्संदेह की दिशा में लगातार रहा है, यह तथ्य सामान्य आंदोलन से अधिक है, जो कम से कम दो वर्षों से पूरे भारत में अच्छी तरह से चिह्नित है.

इसमें आगे कहा गया है कि, "पिछली प्रथा के विपरीत, त्योहार (रामनवमी) में बहुत बड़े पैमाने पर मुस्लिमों ने भाग लिया था, और सामान्य नारे के साथ-साथ "महात्मा गांधी की जय," "हिंदू-मुसलमान की जय" के राजनीतिक नारे भी लगाए जा रहे थे. हमारे सामने सबूतों का प्रभाव यह है कि त्योहार हिंदू-मुस्लिम एकता को आगे बढ़ाने में एक हड़ताली प्रदर्शन बन गया - विभिन्न पंथों के लोग एक ही प्याले से सार्वजनिक रूप से और एक प्रदर्शन के माध्यम से पानी पी रहे थे.”

पंजाब सरकार ने एक अन्य रिपोर्ट में लिखा, "(रामनवमी) 9अप्रैल को, सरकार के खिलाफ असंतोष और दुश्मनी की भावनाओं को भड़काने की साजिश के अनुसरण में, और रामनवमी जुलूस के अवसर पर, आरोपी रामभज दत्त , गोकल चंद, धररा दास सूरी, और दुनी चंद, और अन्य ने कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ हिंदुओं और मुसलमानों के भाईचारे को प्रोत्साहित किया.

ज़रा सोचिए कि अंग्रेजों ने धर्मनिरपेक्ष होने का सारा ढोंग फेंक दिया था और अपनी फूट डालो और राज करो की नीति के साथ सामने आए थे, जहां 'हिंदुओं और मुसलमानों के भाईचारे' को 'शांति' और 'व्यवस्था' के लिए खतरा कहा गया था.

पूरे पंजाब में रामनवमी के जुलूस जहां हिंदू, मुस्लिम और सिखों ने एक साथ रैली की, ने साम्राज्य की नींव हिला दी. यह तीन दिन बाद बैसाखी के दिन रामनवमी को दोहराने का जोखिम नहीं उठा सकता था, इसलिए मार्शल लॉ घोषित किया गया था और सैकड़ों निहत्थे हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों को जलियांवाला बाग में दरिंदगी से गोली मारी गई थी.

भारतीयों को सीखना चाहिए कि उनकी ताकत एकता में है. हमारी एकता ने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को भयभीत कर दिया और जब हम विभाजित हुए तो उन्होंने हम पर शासन किया.