हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के 718वें उर्स का आग़ाज़, उमड़े ज़ायरीन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-11-2021
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का 718वां उर्स शुरू
हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का 718वां उर्स शुरू

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

पाक-भारत उपमहाद्वीप के महान संत हजरत निजामुद्दीन औलिया का 718वां उर्स मंगलवार की शाम से बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ शुरू हुआ.कोरोना काल के बाद यह पहला मौका होगा, जब हजरत निजामुद्दीन औलिया की उर्स धूमधाम और पारंपरिक तरीके से मनाया जा रहा है.

गौरतलब है कि इस बार उर्स में शामिल होने के लिए पाकिस्तान से सैलानी भारत पहुंचे हैं. यह पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव के बीच एक सकारात्मक संकेत है.

इसमें कोई शक नहीं कि भारत कोरोना से अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे कोरोना की ताकत टूट रही है, तो जनजीवन सामान्य हो रहा है. इस बार का उर्स संदेश देगा कि चीजें सामान्य हो गई हैं.

राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के न्यूनतम मामले और रिकॉर्ड टीकाकरण के बाद इस बार उर्स का जश्न धूमधाम से मनाया जाएगा.

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कव्वालियों की महफिल पांच दिन तक चलेगी. 23, 24, 25 और 26 नवंबर को मजलिस होगी. 26 नवंबर को फतेहा लंगर और कव्वाली का आयोजन होगा.

कुरान पाठ, फातेहा पाठ के बाद नातिया मुशायरा होगा, जिसमें मुख्तार तलहरी, अफजल मंगलोरी, मतीन अमरोही, अजहर इकबाल, इलियास अमरपुरी, गुफरान अशरफी, मुहम्मद ओवैस रियाज कादरी, आरिफ अशरफी, रजी मियां नियाजी, मियां कासिम खान और कैसर खान और अन्य ने भाग लेंगे.

गुरुवार 25 नवंबर को उर्स महल का आखिरी कार्यक्रम ‘रुहानी तब्लीगी इज्तेमा’ होगा.

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घटते कोरोना वायरस के कारण इस बार पाकिस्तानी पर्यटकों का आना-जाना बढ़ रहा है, वहीं सीमा पार से सैलानियों का आना भी राजनीतिक और सामाजिक तौर पर एक स्वागत योग्य बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.

इस संबंध में निजामुद्दीन उर्स आयोजित करने वाली समिति के अध्यक्ष फरीद निजामी ने कहा कि उन्हें भी रविवार को पाकिस्तान से प्रतिनिधिमंडल के आने की सूचना दी गई थी. 80 तीर्थयात्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल आ गया है और उर्स में भाग लेगा, जो 26 नवंबर तक चलेगा.

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हालांकि, इस साल के उर्स में किसी अन्य देश के आगंतुक शामिल नहीं होंगे. उरी आर्मी कैंप पर 2016 के आतंकवादी हमले के बाद से पड़ोसी देश के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं. तब से कोई भी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल दरगाह निजामुद्दीन नहीं आया है.

गौरतलब है कि इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के दौरान दोनों देशों के बीच धार्मिक कूटनीति को मजबूत करने के संकेत मिले थे, जब गुरु नानक के 552वें जन्मदिन के अवसर पर करतारपुर कॉरिडोर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था. 2000 से अधिक सिखों का एक समूह तीर्थयात्रियों ने 17 से 26 नवंबर के बीच पाकिस्तान का भी दौरा किया.