कश्मीर के पहले रुस्तम-ए-हिन्द: लगाते थे 3000 बैठकें, 1500 दंड और रोजाना पीते था 10 लीटर दूध

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-05-2022
कश्मीर के पहले रुस्तम-ए-हिन्द: लगाते थे 3000 बैठकें, 1500 दंड और रोजाना पीते था 10 लीटर दूध
कश्मीर के पहले रुस्तम-ए-हिन्द: लगाते थे 3000 बैठकें, 1500 दंड और रोजाना पीते था 10 लीटर दूध

 

जयंती विशेष
 
मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
 
कश्मीर से कोई इतना उम्दा पहलवान हुआ हुआ जो बाद में ‘रुस्तम-ए-हिन्द’ कहलाया, इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है. यही नहीं उनके स्टाइल के अपने जमाने के विश्व विख्यात कुंग फू मास्टर ब्रूस ली भी  कायल थे. अलग बात है कि बटवारे के बाद वह पाकिस्तान चले गए और उनकी मौत फाकाकशी में हुई. यहां हम बात कर रहे हैं ग्रेट गामा पहलवान की. उनका वास्तविक नाम गुलाम मुहम्मद बक्श बट्ट.

आज के वक्त में जब हर नौजवान सलमान खान और टाइगर श्रॉफ जैसी बॉडी चाहता है. इसके लिए घंटों जिम में पसीना बहाता है, पाउडर और प्रोटीन के सहारे सेहत बनाना चाहता है.
 
मगर उनके अंदर लगन और जज्बे की कमी होती है. मगर भारत में एक शख्स ऐसा भी रहा जिसने अपनी लगन, जज्बे और कड़ी मेहनत से दुनिया के तमाम पहलवानों को धूल चटाई और उसे हराने वाला कभी पैदा नहीं हुआ. बाद वह द ग्रेट गामा यानी गामा पहलवान कहलाया.
 
उनका असली नाम गुलाम मुहम्मद बक्श बट्ट बताने पर बहुत कम लोग उन्हें पहचान पाते हैं, लेकिन जब गामा पहलवान कहें तो हर कोई कभी न कभी किसी न किसी मौके पर उनका नाम जरूर  सुना होगा. 
 
द ग्रेट गामा वो शख्स हैं जो दारा सिंह से भी पहले ‘रुस्तम-ए-हिन्द’  का खिताब अपने नाम कर चुके हैं. यही नहीं, वो वर्ल्ड चैंपियन भी बने और उन्होंने बड़े-बड़े दिग्गजों को प्रेरित किया.
 
gama
 
पिता ने बोया था बेटे के मन में पहलवान बनने का बीज
 
22 मई 1878 को कपूरथला जिले के जब्बोंवाल गांव में गामा पहलवान का जन्म हुआ था. वो एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से आते थे. उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श दतिया के महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे.
 
अजीज दक्षिण भारतीय रेस्लिंग कुश्ती धुरंधर पहलवान थे. जब गामा पहलवान 6 साल के थे तब पिता की मौत हो गई. मगर तब तक उन्होंने अपने बेटे के अंदर कुश्ती की अलख जगा दी थी.
 
गामा पहलवान के नाना नून पहलवान ने उन्हें और उनके भाई को पहलवानी सिखाने का जिम्मा उठाया. फिर गामा पहलवान के मामा ईदा पहलवान ने उन्हें कुश्ती के पैंतरे सिखाए.
15 घंटे करते थे प्रैक्टिस

बचपन से ही गामा का नाम भारत में होने लगा और वो अपने पिता की तरह गामा भी दतिया के महाराजा के दरबार में पहलवान बन गए. वो रोज 15 घंटे प्रैक्टिस करते थे.
 
जानकर हैरानी होगी कि वो हर दिन 3000 बैठक और 1500 दंड किया करते थे. इसके अलावा वो रोज अपने गले से 54 किलो का पत्थर बांधकर 1 किलोमीटर तक भागा करते थे.
 
यही नहीं, वो रोज 10 लीटर दूध, आधा लीटर घी, डेढ़ लीटर मक्खर, और दो किलो फल खाया करते थे. उन पर किताब लिखने वाले जोसफ ऑल्टर ने इस बारे में अपनी किताब में भी विस्तार से बताया है.
 
gama
 
रुस्तम-ए-हिन्द से विश्व चैंपियन तक का सफर

इंग्लैंड में उन्होंने पोलैंड के रहने वाले शख्स को कुश्ती में भी हराया जो उस वक्त विश्व चैंपियन थे. उसे हराकर जब वो भारत लौटे तो उन्होंने नेशनल चैंपियन रहीम को भी मात दी जिसका कद 6 फीट 9 इंच था जबकि गामा सिर्फ 5 फीट 8 इंच के थे.
 
तब उन्हें रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब मिला था. बंटवारे के वक्त गामा पहलवान पाकिस्तान में ही रह गए मगर उन्होंने उस वक्त की हिंसा में कई हिंदू परिवारों की जान बचाई थी.
पाकिस्तान की सरकार ने उनका ध्यान नहीं रखा और जीवन के आखिरी दिनों में वो पैसों की कमी के साथ गुजारा करते थे. 82 साल की उम्र में उनकी मौत साल 1960 में हुई मगर आज भी भारत और पाकिस्तान में उनका नाम का डंका गूंजता है.
 
जानकर हैरानी होगी कि महान मार्शल आर्टिस्ट और एक्टर ब्रूसली भी गामा पहलवान से प्रेरित होकर अपनी एक्सरसाइज में दंड बैठक को शामिल कर लिया था.