बिहार : छठ पर दिख रहा सौहार्द, मुस्लिम महिलाओं के बनाए चूल्हे पर बनेगा प्रसाद

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
बिहार में छठ पर दिख रहा सांप्रदायिक सौहार्द, मुस्लिम महिलाओं के बनाए चूल्हे पर बनेगा प्रसाद
बिहार में छठ पर दिख रहा सांप्रदायिक सौहार्द, मुस्लिम महिलाओं के बनाए चूल्हे पर बनेगा प्रसाद

 

सेराज अनवर / पटना

अन्य प्रदेशों के मुकाबले ऐसी सद्भावना केवल बिहार में ही देखने को मिलती है. एक-दूसरे के धार्मिक अनुष्ठानों में हिंदू-मुसलमान बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. बिहार मंे छठ महापर्व इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. शनिवार (29 अक्टूबर) को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे, जबकि रविवार की शाम डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा.अंतिम दिन सोमवार (31 अक्टूबर) को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जाएगा.
 
छठ बिहार का महापर्व है.इस में मुस्लिम महिलाएं भी अपने स्तर से योगदान देती हैं.इससे लोक आस्था का महापर्व और भी खास हो जाता है.मुस्लिम महिलाएं मिट्टी का चूल्हा बनाने से लेकर छठ व्रतियों के बीच छठ सामग्री बांटने में भी हाथ बंटाती हैं.
 
यह सब बिना किसी धार्मिक भेद-भाव के होता है.इस बार भी गंगा-जमुनी संस्कृति का यह नजारा राजधानी पटना से लेकर नवादा,महराजगंज सहित समस्त बिहार में देखने को मिल रहा है.
 
जहां छठव्रती परिवार घर की साफ-सफाई और त्योहार के लिए आवश्यक फल और अन्य सामान खरीदने में व्यस्त हैं, दर्जनों मुस्लिम महिलाएं मिट्टी गूंथकर चूल्हे बनाने में लगी हैं.ऐसी अनूठी मिसाल बिहार में ही देखने को मिलती है.
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मिट्टी के चूल्हे का महत्व

इस पर्व में मिट्टी के चूल्हा का बड़ा महत्व है.छठ पर्व का प्रसाद इसी मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. अनूठी बात यह है कि यह चूल्हा शबनम खातून,साजिया खातून,संजीदा खातून यानी मुस्लिम महिलाएं बना रही हैं.
 
खरीदार हिंदू हैं.भारत की सांझी विरासत की यह झलक इनदिनों पटना के वीर चंद पटेल पथ पर देखा जा सकता है.सड़क किनारे मुस्लिम महिलाएं छठ के लिए चूल्हा बनाने में व्यस्त हैं.उनके इस काम में धर्म आड़े नहीं आ रहा.
 
लगभग 35 सालों से यह महिलाएं छठ के लिए चूल्हे को बड़े ही आस्था और श्रद्धा के साथ बनाती हैं.35 सालों से चूल्हा बनाने वाली शबनम खातून कहती हैं, छठ पर्व जब भी आता है, चूल्हा बनाना शुरू कर देती हूं.
 
इस शुभ काम को अपने हाथों से करना अच्छा लगता है. मिट्टी का चूल्हा पर्व का प्रसाद बनाने में शुद्ध होता है. हमारे हिंदू भाई हमसे बड़ी संख्या में चूल्हा लेकर जाते हैं.
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सामाजिक सौहार्द का संदेश

मिट्टी के चूल्हे बनाने का काम एक सप्ताह पहले से शुरू हो जाता है. सड़क के किनारे करीब 50 से 60 मुस्लिम महिलाएं इस चूल्हे को बनाने का काम करतीहैं .एक महिला 500 से 600 चूल्हे बनाती है.
 
पिछले सात साल से छठ के लिए चूल्हा बना रहीं साजिया खातून कहती हैं कि चूल्हा  तैयार करने के लिए वह सबसे पहले पुनपुन नदी के साफ इलाके से मिट्टी मंगाती हैं.
 
चूल्हा बनाने से पहले  मिट्टी से कंकड़-पत्थर चुनती हैं.इसके बाद पानी और भूसा मिला कर चूल्हे को आकार दिया जाता है .इनका कहना है कि यह पर्व बहुत ही पवित्र है, इसलिए हम शुद्धता का ख्याल रखते हैं.
 
एक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत 1500 रुपये से लेकर 4000 रुपये तक है. जिसमें 50-60 चूल्हे बनते हैं .वहीं इन चूल्हों की कीमत 150 रुपये से लेकर 400 रुपये तक है.चूल्हा बनाने के दौरान मीट-मछली का सेवन नहीं किया जाता है. 
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मजहब नहीं आता आड़े

चूल्हा  बनाने वाली मुस्लिम महिलाओं से जब पूछा गया कि आप मुस्लिम हैं और छठ हिन्दू का महापर्व है. इस सवाल के जवाब में महिलाओं ने कहा कि इस पर्व की महत्ता को हम जानते हैं.
 
यही कारण है कि बड़ी श्रद्धा से मिट्टी का चूल्हा बनाते हैं.चूल्हा बनाने वाली सभी मुस्लिम महिलाएं इस पर्व को पवित्र मानती हैं. यानी महापर्व पर मुस्लिम महिलाओं की भी वही आस्था दिखती है, जो हिंदू छठ व्रतियों की होती है.
 
मुस्लिम महिलाएं मानती हैं कि छठ महान पर्व है. इसमें पवित्रता के साथ पूजा-पाठ किया जाता है.संजीदा खातून कहती है, अगर हम मिट्टी के चूल्हे नहीं बनाएंगे, तो छठ पूजा के लिए छठव्रती प्रसाद कैसे पकाएंगे ? 
 
याद रहे कि प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे में ईंधन के रूप में आम की सूखी लकड़ी का उपयोग किया जाता है. जिस पर प्रसाद के रूप में उबले हुए चावल और लौकी (कद्दू) का पारंपरिक भोज और मीठा व्यंजन पकाया जाता है.
 
पिछले दस साल से इस कार्य में लगी संजीदा कहती है,  “पहले मेरी सास और अन्य लोग इस काम से जुड़े थे .अब मैं पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ा रही हूं. छठ व्रतियों के लिए इसे बनाने पर खुशी  महसूस होती है.
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शहजादी बेगम ने सूप,नारियल वितरित किया

मुस्लिम बहुल मुहल्ला सब्जीबाग स्थित दरयापुर जामा मस्जिद के निकट छठ पूजा के शुभ अवसर पर पूर्व वार्ड पार्षद और सामाजिक कार्यकर्ता शहजादी बेगम ने साड़ी, सूप, नारियल एवं अन्य सामग्री वितरण किया.
 
छठ व्रतियों के लिए पूरा सब्जीबाग सजा हुआ है.उधर नवादा जिले की नरहट पंचायत के मुखिया एहतेशाम गुड्डू ने छठव्रती महिलाओं के बीच साड़ी का वितरण किया.
 
गुड्डू पिछले दो साल से साड़ी बांट रहे हैं.इस बार 400 छठव्रती महिलाओं को साड़ी दी.छठ को लेकर महाराजगंज जिले के नौतनवां कस्बे में भी गंगा-जममुनी तहजीब देखने को मिल रही है.
 
यहां मुस्लिम समाज के लोग सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करते हुए छठ व्रत की तैयारियों में हिस्सा ले रहे हैं. पिछले 25 सालों से मुस्लिम समुदाय के लोग छठ व्रतियों के लिए सभी तरह की तैयारी करते हैं, जिसमें छठ घाट की सफाई से लेकर सौंदर्यीकरण भी शामिल है.
 
इसके अलावा पूजा के दौरान आ रहे लोगों की सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है.नौतनवां नगर पालिका के अध्यक्ष रहे मोहम्मद कलीम  इस तैयारी की अगुवाई कर रहे हैं.
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उनके सहयोगी मजीद, शफीक और गयासुद्दीन भी छठ पूजा की तैयारियों में 10 दिन से जुटे हैं. छठ पूजा के अंतिम दिन जब व्रती महिलाएं पूजा संपन्न करके छठ घाटों से विदा होती हैं, तब इनका काम खत्म होता है.
 
उनका कहना है कि उन पर छठी मैया की विशेष कृपा है. उनके आशीर्वाद से वह नगर पालिका के चेयरमैन बने हैं.