राकेश चौरासिया/नई दिल्ली
सामाजिक भाईचारे में जो बुरी ताकतें दरारें खोजना चाहते हैं, उनके लिए असरार अहमद खान जोरदार जवाब हैं. कुल जमा खबर इतनी है कि चित्रकूट धाम के कामतानाथ मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं की दर्शनार्थ भीड़ जुट रही है और असरार अहमद खान बतौर ग्राम प्रधान श्रद्धालुओं की मेजबानी कर रहे हैं और उन्हें भंडारा खिला रहे हैं.
जब तक भारतीय धरा पर असरार अहमद खान सरीखी शख्सियतें सलामत रहेंगी, तब तक कोई भी नजरे-बद बाल बांका न कर सकेगी और मां भारती का भाल ऊंचा रहेगा.
विकीपीडिया की जानकारी के अनुसार यह मंदिर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जिले की सीमा पर स्थित है. कामदगिरि का कुछ भाग उत्तर प्रदेश और कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश में स्थित है. यहां की कानपुर सेंट्रल स्टेशन से चित्रकूट धाम (कर्वी) रेलवे स्टेशन की दूरी 213किलोमीटर है.
इसके मंदिर में दर्शन और परिक्रमा मात्र से दर्शनार्थी श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं. इसीलिये इसे कामदगिरि कहते हैं.
इस गिरिराज का यों तो महत्व अनादिकाल से चला आ रहा है, लेकिन प्रभु श्री राम द्वारा वनवास अवधि में लघु भ्राता लक्ष्मण और जनकसुता सीता के साथ यहां प्रवास करने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है.
वैसे तो पूरे वर्ष यहां दर्शनार्थियों का आवागमन लगा रहता है, लेकिन चैत्र मास में रामनवमी, दीपावली और प्रति मास की अमावस्या को यहां लगने वाले मेले के अवसर पर अत्यधिक भीड़ होती है.
चित्रकूट में दीपावली का मेला सबसे बड़ा मेला होता है यहां लाखों की तादात में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और कामदगिरि की परिक्रमा लगाते हैं तथा दीपदान करते हैं. वास्तव में दीपावली में यहां का दृश्य देखने योग्य होता है, दीपावली में तरह-तरह लोग तरह-तरह के चीजें तथा तरह-तरह की कलाकृति देखने को मिलती है. यह मेला धनतेरस से शुरू होता है तथा दीपावली के 1दिन बाद तक चलता है.
चित्रकूट का सबसे महत्वपूर्ण स्थान कामदगिरि है. रामघाट से स्नान करने के बाद अधिकतर लोग कामदगिरि के मुख्य दरवाजे पर आते हैं और यहीं से परिक्रमा प्रारम्भ करते हैं.
यात्रा रामघाट से प्रारम्भ होती है. रामघाट वह घाट है जहां प्रभु राम नित्य स्नान करते थे. मन्दाकिनी और पयस्विनी नदी के संगम स्थल रामघाट पर ही श्री राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था. यह वही प्रसिद्द घाट है, जिसके बारे कहा गया है कि ‘चित्रकूट के घाट पर भई सन्तन की भीड़, तुलसीदास चन्दन घिसें तिलक देत रघुवीर.’
चित्रकूट आने वाले श्रद्धालु कामदगिरि पर्वत की पांच किलोमीटर की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं.
इसी पर्वत के तल पर कामतानाथ का मंदिर स्थित विध्य पर्वत पर हनुमान धारा में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है. कहा जाता है की यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आये हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. हनुमान धारा के ऊपर सीता रसोई है.
कामदगिरि परिक्रमा का मार्ग बहुत ही स्वच्छ और सुंदर है. लोगों को परिक्रमा लगाते समय किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. कामदगिरि परिक्रमा लगाते समय अनेक प्राचीन मंदिर मिलते हैं.
कामदगिरि का परिक्रमा मार्ग का परिमाप लगभग 5किलोमीटर का है. कामदगिरि के चारों ओर पक्का परिक्रमा मार्ग बना हुआ है. परिक्रमा मार्ग के चारों ओर अनेक देवालय बने हुए हैं, जिनमें राममुहल्ला, मुखारविन्दु, साक्षी गोपाल, भारत-मिलाप (चरण-पादुका ) एवम पीली कोठी अधिक महत्वपूर्ण हैं.
कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में भरत मिलाप मंदिर तथा लक्ष्मण पहाड़ी भी है. लक्ष्मण पहाड़ी में लोग सीढ़ियों तथा रोप-वे से भी जाते हैं, लक्ष्मण पहाड़ी से कामदगिरि पर्वत का बहुत ही मनोहर दृश्य दिखता है.
भंडारे का प्रबंध
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुसियारी गांव के प्रधान असरार अहमद खान ने सामाजिक सद्भाव का उदाहरण पेश करते हुए अमावस्या पर चित्रकूट धाम कामतानाथ के दर्शन करने जाने वाले पैदल श्रद्धालुओं के लिए सामूहिक रूप से भंडारे का व्यापक प्रबंध किया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार ग्राम प्रधान ने बताया कि यहां से गुजरने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को विश्राम के साथ भोजन उपलब्ध कराने का कार्य लगातार जारी है. इस क्षेत्र का मुस्लिम बहुल आबादी वाला गांव है. यहां के अल्पसंख्यक समुदाय के प्रधान ने तीर्थ यात्रियों के लिए विश्राम के साथ भोजन का बड़ा आयोजन किया है. जो लगातार चल रहा है वहीं लोगों का मानना है कि कौमी एकता की यह बड़ी मिसाल है.