अभिषेक कुमार सिंह/ बनारस
सत्रह साल तक राज्यपाल पद पर बने रहना कोई हंसी-खेल नहीं है. पर देश के विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में सेवा देकर यह रिकॉर्ड बनाया था अखलाक-उर-रहमान किदवई ने. बिहार में वह दो बार—1979 से 1985 और फिर 1993 से 1998 तक राज्यपाल रहे. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, हरियाणा के भी वह राज्यपाल रहे.
इसके साथ ही उन्हें पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ का भी कामकाज कई बार अतिरिक्त रूप से संभालना पड़ा था.
साल 2000 से 2004 के बीच वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे.
अखलाक उर रहमान किदवई साहब का शिक्षा जगत और सामाजिक सेवा में बड़ा योगदान रहा है, जिसके चलते सरकार ने इनको यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन का चेयरमैन और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी का चांसलर भी बनाया था.
डॉ. किदवई का जन्म 1जुलाई, 1920को उत्तर प्रदेश में बारांबकी जिले के बड़ा गांव मसौली में हुआ था. इनके पिता का नाम अशफिकुर रहमान किदवई और मां का नाम नसीमुन्निसा था.
उनका विवाह जमीला किदवर्द से हुआ था.
शादी के बाद उनके छह बच्चे हुए, जिनमें दो बेटे और चार बेटियां हुईं. जब उनका दाखिला दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में हुआ तब उनकी उम्र महज आठ साल की थी. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से 1940में बीए की पढ़ाई की. अपने उच्चतर शिक्षा के लिए उन्होंने अमेरिका का रुख किया, जहां 1948में एमएससी की और 1950में पीएचडी की डिग्री हासिल की.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान विभाग के प्रमूख और विज्ञान संकाय के डीन के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. किदवई 1974से 1977तक संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष बने रहे.
वह 1979में पहली बार बिहार के गवर्नर बने, और 1993में राष्ट्रपति द्वारा इनको एक बार फिर बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया. अपनी काबिलियत दम पर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के 1983से 1991तक चांसलर भी रहे.
किदवई 1998में पश्चिम बंगाल के गवर्नर नियुक्त हुए. साल 2000में राज्यसभा के सदस्य बनाये गए और यही नहीं वह 2004में हरियाणा के गवर्नर बने. 2007में इन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राजस्थान का गवर्नर बनाया.
बाराबंकी के स्वतंत्र संग्राम सेनानी और बिहार, बंगाल, राजस्थान, हरियाणा के गवर्नर, पूर्व सांसद, पद्म विभूषण अवॉर्ड पाने वाले अखलाक उर रहमान किदवई ने 24अगस्त, 2016को 95वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद नई दिल्ली में दुनिया को अलविदा कहा.
दरअसल, अमेरिका से लौटने के बाद डॉ. किदवई ने अपना सारा समय राष्ट्र और समुदाय के कल्याण के लिए काम करने के लिए समर्पित कर दिया. डॉ. किदवई ने कुछ प्रसिद्ध राष्ट्रीय समितियों, संगठनों और संस्थानों के सदस्य के रूप में कार्य किया.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय समिति, 1968-75.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और योजना आयोग की परिप्रेक्ष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी योजना समिति.
काउंसिल एंड गवर्निंग बॉडी ऑफ इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) 1970-73.
बोर्ड ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, हैदराबाद की गवर्निंग बॉडीज.
क्षेत्रीय असंतुलन जांच आयोग, जम्मू और कश्मीर राज्य, 1979.
राज्य योजना बोर्ड और भारी उद्योग योजना समितियाँ, उत्तर प्रदेश सरकार.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की समीक्षा समिति के अध्यक्ष, 1985-86.
शिक्षा के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की केंद्रीय परिषद.
नई शिक्षा नीति, 1986की समिति और शिक्षा के गैर-औपचारिक तरीकों पर इसकी उप-समिति के अध्यक्ष.
सदस्य और संरक्षक दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी (1968-जारी).
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स, भारत के मानद फेलो.
अध्यक्ष, यूनानी चिकित्सा पर समीक्षा समिति, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार.
अध्यक्ष, चयन बोर्ड ऑफ साइंटिस्ट्स पूल (1968-79).
रोजगार, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार (1967-79) के लिए शैक्षिक और तकनीकी योग्यता के मूल्यांकन बोर्ड के अध्यक्ष.
अमेरिकी, ब्रिटिश और भारतीय रासायनिक सोसायटी.
विज्ञान की प्रगति के लिए अमेरिकन एसोसिएशन.