कांवड़ियों की 'गंगाजली ' और कादरवाड़ी के मुसलमान, क्या है कहानी ? यहां जानें

Story by  फैजान खान | Published by  [email protected] | Date 20-07-2022
कांवड़ियों की 'गंगाजली ' और कादरवाड़ी के मुसलमान, क्या है कहानी ?  यहां जानें
कांवड़ियों की 'गंगाजली ' और कादरवाड़ी के मुसलमान, क्या है कहानी ? यहां जानें

 

फैजान खान / कासगंज ( उत्तर प्रदेश )

कांवड़िए कांच की जिस 'गंगाजली में गंगा जल लाते हैं, क्या आपको पता है कि वह कहां बनती है ? नहीं पता  तो हम आपको बताते हैं. 'गंगाजली' का निर्माण होता है-एक छोटे से गांव कादरवाड़ी में.अभी सावन का महीना चल रहा है. लोग शिव भक्ति में लीन हैं.देशभर से श्रद्धालु  कांवड़ लेकर गंगाजी पहुंच रहे हैं.

गंगाजी से गंगाजल भरकर अपने घर लौट रहे हैं. सावन को लेकर तैयारियों में जुटे श्रद्धालुओं की आस्था को मुस्लिम परिवारों के हाथों का हुनर और खुशनुमा बना रहा है. कांवड़ के लिए गंगाजली का निर्माण यहां के कादरवाड़ी गांव के मुस्लिम परिवारों द्वारा किया जा रहा है.

'गंगाजली ' तैयार करना इन मुस्लिम परिवारों के लिए रोजी रोटी से ज्यादा धार्मिक सौहार्द का काम है. तपती आग में कांच को फूंक से आकार देकर बोतल नुमा 'गंगाजली' तैयार करना इन परिवारों का खास हुनर है.

तीर्थनगरी के कासगंज गेट, चंदनचौक, हरि की पैड़ी, लहरा में कांवड़ मेला लगता है. राजस्थान, एमपी आदि प्रदेशों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के कांवड़िए तीर्थनगरी के लहरा घाट से गंगाजल भरकर अपने क्षेत्रों के शिवालयों तक पैदल यात्रा कर भोले बाबा का गंगाजलाभिषेक करते हैं.

कांवड़िए लहरा घाट से जिन कांच की गंगाजली में गंगाजल भर कर ले जाते हैं. उसे कादरवाड़ी के मुस्लिम कारीगर कई दिनों तक लग कर तैयार करते हैं. इस समय कादरवाड़ी में कई भट्टियां धधक रही हैं. यहां कारीगर दिन-रात गंगाजली के निर्माण में लगे हैं.

karigar

फिरोजाबाद के कच्चे माल पर पक्का काम

गंगाजली बनाने में जुटे कादरवाड़ी के मुस्लिम परिवार कांच के फिरोजाबाद शहर तक अपने हुनर के लिए जाने जाते हैं. वह फिरोजाबाद से कच्चा कांच लाते हैं. फिर अपनी धधकती भट्टियों में कच्चे कांच को आकार देकर गंगाजली का निर्माण करते हैं. इस तरह गंगाजली का यह काम फिरोजाबाद से भी जुड़ गया है.

ganga

न्यूज फैक्ट

- 8मुस्लिम परिवार ' गंगाजली ' तैयार करते हैं

- 25हुनरमंद कारीगर प्रतिदिन ' गंगाजली ' बनाते हैं

- 300 ' गंगाजली ' एक कारीगर एक दिन में तैयार करता है

पीढ़ियों से बन रही है गंगाजली

कारीगर फारूख ने बताया कि यह काम सात पीढ़ियों से हो रहा है. सावन का महीने शुरू होने से कई महीने पहले व्यापारी कारीगरों को एडवांस में पैसे दे जाते हैं. इसके बाद फिरोजाबाद से कच्चा माल लाकर गंगाजली तैयार किया जाता है.

तीन महीने बनती है 'गंगाजली '

कारीगर असलम ने बताया कि यह काम वर्ष के सिर्फ तीन महीने तक सीमित है. बाकी के दिनों में वे या तो खेतों में मजदूरी करते हैं या बड़े शहरों में जाकर मेहनत मजदूरी .