व्यापार असंतुलन से चालू खाता घाटा बढ़ा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 03-04-2022
व्यापार असंतुलन से चालू खाता घाटा बढ़ा
व्यापार असंतुलन से चालू खाता घाटा बढ़ा

 

मुम्बई. व्यापार असंतुलन के कारण गत वित्त वर्ष देश का चालू खाता घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.5 प्रतिशत तक हो सकता है. भारत का चालू खाता वित्त वर्ष 2021 में 0.9 प्रतिशत के अधिशेष यानी सरप्लस में था.

हाल में जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि कमोडिटी की आसमान छूती कीमतों ने चालू खाते को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. इसी कारण गत वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश का चालू खाता बढ़कर 23 अरब डॉलर हो गया था.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा, वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में चालू खाते घाटे में हुई बढ़ोतरी की मुख्य वजह व्यापार घाटा रहा.

इस अवधि में व्यापार घाटा जीडीपी का 7.2 प्रतिशत था. इससे पहले दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहा था.'' रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात की तुलना में आयात में बढ़ोतरी होने से व्यापार असंतुलन बढ़ गया है.

पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़ दें, तो भारत का चालू खाता सरप्लस जीडीपी का 0.8 प्रतिशत है जबकि वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही में यह जीडीपी का 2.2 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में जीडीपी का 1.9 प्रतिशत था.

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने को छोड़ दें तो, भारत का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में विदेशी निवेश 23.2 अरब डॉलर का रहा. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में एफडीआई का निवेश दूसरी तिमाही के 10 अरब डॉलर से आधा होकर 5.1 बिलियन डॉलर रह गया.

वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवशकों ने 4.7 अरब डॉलर की निकासी की जबकि दूसरी तिमाही में समान मात्रा में निवेश किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सकल घरेलू बचत वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में छह-तिमाही के निचले स्तर पर आ गयी.