सेंसेक्स ने भी कोरोना से जंग लड़ी और जीता, छुआ 61000 का स्तर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 31-12-2021
सेंसेक्स ने भी कोरोना से जंग लड़ी
सेंसेक्स ने भी कोरोना से जंग लड़ी

 

नई दिल्ली. आईएएनएस-सीवोटर के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में जो मुद्दे हावी रहे, उनमें एक शेयर बाजार में उथल-पुथल का दौर भी प्रमुख रहा. इस दौरान सेंसेक्स ने पहली बार 61 हजार के जादुई आंकड़े को छुआ.


इसने मुकेश अंबानी को दुनिया का 10वां सबसे अमीर व्यक्ति बना दिया. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर आशावादी बने रहे. हालांकि, इसके ठीक विपरीत, दो तिहाई भारतीय परिवार मानते हैं कि मौजूदा खचरें का प्रबंधन करना उनके लिए मुश्किल हो गया है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना महामारी के दौरान शेयर बाजार और आम भारतीय की स्थिति बिलकुल अलग-अलग थी.

विशेषज्ञ बताते हैं कि इक्विटी शेयरों के मौजूदा मूल्य वास्तव में किसी कंपनी की अनुमानित भविष्य की कमाई को दशार्ते हैं. नि:संदेह, इनमें से बहुत सी ब्लू चिप कंपनियों का भविष्य बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन आम भारतीयों के भविष्य के लिए ऐसा नहीं है.

दूसरी तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर की घोषणा से ठीक पहले नवंबर 2021 में आईएएनएस-सीवोटर ट्रैकर सर्वेक्षण ने साधारण भारतीयों से बात की. इस दौरान 8.4 फीसदी लोग मानते हैं कि उनको उम्मीद से बेहतर रिजल्ट मिला और बाजार एक बार फिर खुशी से झूम उठे. लेकिन आम भारतीयों का क्या? वेतन पाने वाले 20 प्रतिशत वृद्धि के प्रति आश्वस्त थे, जबकि पूर्ण 41.3 प्रतिशत लोग इस बात को लेकर निश्चित थे कि वेतन वृद्धि की उम्मीद करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

कारोबारियों में 19.5 फीसदी लोगों को कारोबार और आय में बढ़ोतरी का भरोसा था जबकि 38.4 फीसदी ने कारोबार और आय में गिरावट की उम्मीद जताई थी. फिर से, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, 800 मिलियन भारतीय अभी भी केवल इसलिए जीवित हैं क्योंकि सरकार एक कल्याणकारी योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न दे रही है. सेंसेक्स के 61,000 अंक को पार करने के तर्कहीन उत्साह के बारे में उनसे बात करना अटपटा लग सकता है; लेकिन दो अलग-अलग भारत हमेशा मौजूद रहे हैं, तब भी जब भारत एक समय में एक घोषित समाजवादी अर्थव्यवस्था था.