भारत की जीडीपी में रियल एस्टेट उद्योग का योगदान 2025 तक 13 फीसदी हो जायेगा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
भारत की जीडीपी में रियल एस्टेट उद्योग का योगदान 2025 तक 13 फीसदी  हो जायेगा
भारत की जीडीपी में रियल एस्टेट उद्योग का योगदान 2025 तक 13 फीसदी हो जायेगा

 

पंकज बंसाली / आईएएनएस

भारतीय रियल एस्टेट उद्योग द्वारा अगस्त में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अचल संपत्ति बाजार वर्ष 2030 तक 1 खरब डॉलर के बाजार आकार तक पहुंचने के लिए तैयार है और 2025 तक यह सकल घरेलू उत्पाद में 13 प्रतिशत का योगदान देगा.
 
रिपोर्ट में यह भी भविष्यवाणी की गई है कि 2040 तक बाजार की वृद्धि 9.30 अरब डॉलर (लगभग 65,000 करोड़ रुपये) हो जाएगी.
 
उद्योग और आंतरिक व्यापार नीति के संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार, रियल एस्टेट क्षेत्र भी एफडीआई प्रवाह के मामले में तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है. यह दूसरा सबसे बड़ा रोजगार उत्पादक है और आर्थिक विकास को प्रेरित करने वाला तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है.
 
रियल एस्टेट अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष या प्रेरित प्रभाव के मामले में 14 प्रमुख क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर है.
 
रियल एस्टेट सेक्टर भी कृषि के बाद रोजगार सृजन के मामले में दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है. यह अल्पकालिक रोजगार सृजन के साथ लंबी अवधि के लिए भी काम करता है.
 
सवाल यह है कि भारत में रियल एस्टेट सेक्टर को इतनी आक्रामक तरीके से क्या चला रहा है?
 
क्या यह दीर्घकालिक निवेश के लिए समाज की आवश्यकता और मानसिकता में बदलाव है या यह है कि सरकार ने रियल एस्टेट में निवेश आकर्षित करने के लिए मानदंडों और नीतियों में ढील देने का फैसला किया है?
 
इस साल जुलाई में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने छोटे और खुदरा निवेशकों खातिर बाजार को सुलभ बनाने के लिए रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों के न्यूनतम आवेदन मूल्य को 50,000 रुपये से घटाकर 10,000-15,000 रुपये कर दिया था. यहां तक कि शीर्ष 30 शहरों में सह-जीवित बाजार, मुख्य रूप से महानगरों में लगभग दोगुना - 6.70 अरब डॉलर के मौजूदा आकार से लगभग 14 अरब डॉलर बढ़ने को तैयार है.
 
सेविल्स इंडिया की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, डेटा केंद्रों की अचल संपत्ति की मांग भी बढ़ रही है - 2025 तक 1.5-1.8 करोड़ वर्ग फुट.
 
केंद्र सरकार ने वित्तवर्ष 2023 के अंत तक देशभर के शहरी क्षेत्रों में 2 करोड़ किफायती घर बनाने का निर्णय लेकर इस क्षेत्र को भी गति दी है. यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) योजना के तहत किया जा रहा है.
 
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र ने 2020 में ही 5 अरब डॉलर का संस्थागत निवेश आकर्षित किया, जो पिछले वर्ष में दर्ज किए गए लेनदेन के 93 प्रतिशत के बराबर है और यहां तक कि निजी इक्विटी ने वित्तवर्ष 2021 की चौथी तिमाही में लगभग 20 सौदों में 3,24 करोड़ का निवेश दर्ज किया है.
 
डीपीआईआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, निर्माण क्षेत्र एफडीआई प्रवाह के मामले में तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने अप्रैल 2020 और जून 2021 के बीच 51.5 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया. इसके अलावा, वित्तवर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में आवास क्षेत्र 62,800 इकाइयों पर था, जो 2020 की तीसरी तिमाही में 29,520 इकाइयों की तुलना में सभी शीर्ष सात शहरों में 113 प्रतिशत की वृद्धि है.
 
सात शहरों में से, मुंबई की कुल बिक्री का 33 प्रतिशत हिस्सा है, इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 16 प्रतिशत है.
 
जेएलएल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी से मार्च के बीच, नोएडा में कुल अवशोषण का 55 प्रतिशत हिस्सा था. इसके बाद गुरुग्राम में 38 प्रतिशत था। दिल्ली-एनसीआर में भी ऑफिस स्पेस की मांग में तेज वृद्धि देखी गई है.
 
डेवलपर्स द्वारा कम बंधक दरों और प्रोत्साहनों के कारण आवासीय अचल संपत्ति की मांग 2021 की चौथी तिमाही में पुनर्जीवित हुई. ब्लैकस्टोन, जो भारत में सबसे बड़े निजी बाजार निवेशकों में से एक है, रियल एस्टेट क्षेत्र में लगभग 50 अरब डॉलर के बाजार मूल्य का प्रबंधन करता है. यह अगले 10 वर्षो में और 22 अरब डॉलर निवेश करना चाहता है.
 
इन सबके साथ, सरकार की पहल गेम चेंजर होगी। 100 स्मार्ट सिटी परियोजना रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक सराहनीय अवसर है. आवास ऋण पर ब्याज पर 1.50 लाख रुपये तक की कर कटौती और किफायती आवास परियोजनाओं के लिए कर अवकाश को वित्तीय वर्ष 2021-22 तक बढ़ा दिया गया है.
 
12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 तक 2 करोड़ रुपये तक मूल्य की आवासीय इकाइयों की प्राथमिक खरीद/बिक्री के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स और घर खरीदारों के लिए आयकर राहत के उपाय काफी सफल रहे हैं.
 
सरकार ने वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) भी स्थापित किया है, जो देश के शीर्ष शहरों में लगभग 1,600 रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस उद्देश्य के लिए 25,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. साथ ही, नेशनल हाउसिंग बैंक में एआईएफ का निर्माण होने और 425 एसईजेड को मंजूरी मिलने से रियल एस्टेट बाजार में और तेजी आने वाली है.
 
सेबी ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) प्लेटफॉर्म के लिए भी अपनी मंजूरी दे दी है और यह सभी प्रकार के निवेशकों को भारतीय रियल एस्टेट बाजार में निवेश करने की अनुमति देगा. इससे आने वाले वर्षो में भारतीय बाजार में 19.65 अरब डॉलर निवेश का अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
 
यह जानते हुए कि शहरी क्षेत्रों में 1 करोड़ यूनिट की कमी है और आगे यह जानकर कि 2030 तक 2.5 करोड़ यूनिट किफायती आवास की आवश्यकता होगी, सवाल है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद में न्यूनतम 13 प्रतिशत योगदान से कौन रोक पाएगा?
 
(लेखक बिक्री के मामले में रियल एस्टेट में भारत के दूसरे सबसे बड़े ब्रांड एम3एम इंडिया के निदेशक हैं। ये उनके निजी विचार हैं)