मोती की खेती बदल रही है किसानों की जिंदगी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
फायदे का धंधा है मोतियों की खेती
फायदे का धंधा है मोतियों की खेती

 

गौस सिवानी/ नई दिल्ली

कश्मीर के किसान जुनैद वानी धान की खेती करते थे लेकिन अब मोती की खेती कर रहे हैं. मोती की खेती शुरू करने के बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. शमशीर मलिक का भी यही हाल है जो अब मोती की खेती में लगा हुआ है. हरियाणा के शमशीर मलिक एक कंपनी से अनुबंध के तहत मोतियों की खेती कर रहे हैं.

वाराणसी (यूपी) के नारायणपुर गांव के तीन भाई श्वेतांक पाठक, रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और उनके चाचा जलज जीवन पाठक भी मोती की खेती कर रहे हैं. उन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि 180 से अधिक अन्य ग्रामीणों के लिए भी रोजगार सृजित किए हैं.

हां! मोती की खेती के बारे में जानकर हैरान न हों. कभी समुद्र से निकाले जाने वाले मोती अब तालाबों से लेकर घरों तक हर चीज में पैदा हो रहे हैं और कई परिवारों की जिंदगी बदल रहे हैं.

किसानों की आमदनी बढ़ाने की संभावना है मोतियों की खेती में


किसान की आय में वृद्धि

हरियाणा के जींद जिले के पोली गांव के एक किसान शमशीर मलिक ने एक कंपनी के साथ समझौते के तहत मोती की खेती शुरू की और अपनी आय में वृद्धि की. मोती की खेती से उनकी आय में लगभग 50,000 रुपये प्रति माह की वृद्धि हुई है. शमशीर मलिक कहते हैं कि उनकी स्पेयर पार्ट्स की दुकान है लेकिन वह इससे ज्यादा मुनाफा नहीं कमा सके. इसलिए उन्होंने इंटरनेट से पैसे कमाने के तरीके तलाशने शुरू कर दिए.

शमशीर के पास जमीन कम थी, इसलिए उसने दूसरा तरीका अपनाया. किसान ने पवन धरती नामक कंपनी से अनुबंध किया है. कंपनी ने किसान के घर पर 280 वर्ग फुट का टैंक बनाया है. इसमें करीब 12,000 सीप लगाए गए हैं, जिनमें मोती बनाए जा रहे हैं. मोती तैयार होने में करीब एक साल का समय लगेगा लेकिन कंपनी उन्हें 12,000 रुपये प्रति सप्ताह दे रही है. साथ ही सैप फार्म के रख-रखाव और बिजली बिल के लिए उन्हें 5,000 रुपये प्रति माह मिल रहे हैं.

आगरा के रंजना यादव भी कर रही हैं मोतियो की खेती


आगरा की रंजना यादव ने सबसे पहले एक ड्रम में मोती की खेती का प्रयोग किया, जिसमें सात या आठ मोती निकले. अब उन्होंने 14 गुणा 14 फीट के तालाब में मोतियों की खेती शुरू कर दी है. रंजना के मुताबिक, “आगरा में मोती की खेती का यह पहला प्रयास है.”रंजना ने डॉ. भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय, स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज से एमएससी किया है. उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान मोती की खेती के बारे में सीखा. वे भुवनेश्वर गईं और मोती की खेती का नियमित प्रशिक्षण प्राप्त किया.

 

तीन भाइयों ने बदला दिया गांव

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नारायणपुर गांव के कुछ लोगों ने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और मोतियों की खेती शुरू कर दी. आज उन्हीं की वजह से गांव के अन्य किसान भी धीरे-धीरे पारंपरिक खेती से दूर मोती की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. यह सब 2018 में शुरू हुआ, जब श्वेतांक पाठक ने मोती का खेत शुरू किया. इस फॉर्म के तहत अब तक 180 से अधिक लोगों को मोती की खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

धीरे-धीरे रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और उनके चाचा जलज जीवन पाठक ने भी नौकरी छोड़ दी और अपने काम में लग गए. आज पाठक परिवार न केवल मोतियों की खेती करता है, बल्कि ग्रामीणों को मोती की खेती का प्रशिक्षण भी देता है. साथ ही वे कृषि में लगातार नई चीजों के साथ प्रयोग कर रहे हैं.

रोहित पाठक कहते हैं, “नारायणपुर घनी आबादी वाला गांव है. यहां बड़े किसानों की तुलना में आम किसानों की भूमि छोटेटुकड़ों में बंटी है. साथ ही संसाधनों का भी अभाव है. इसे ध्यान में रखते हुए हमने कृषि पर काम करना शुरू किया. क्योंकि हमारा मानना है कि कृषि ग्रामीणों के लिए रोजगार और आय के स्रोत पैदा कर सकती है.”

 

वार्षिक आय पांच लाख

गुजरात के सूरत के रहने वाले नीरो पटेल ने ग्रेजुएशन के बाद नौकरी की जगह खेती को चुना. नीरो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. 2018 में, नीरो ने मोती उगाने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने कुछ तालाब खोदे और दो लाख रुपये खर्च कर काम शुरू किया. उसकी आमदनी दिन-ब-दिन बढ़ती गई और अब वह सालाना 500,000 रुपये का लाभ कमा रहा है.

लोग मोतियों की खेती में कमा रहे मुनाफा


पुस्तक विक्रेता ने शुरू की मोती की खेती

राजस्थान के नरेंद्र कुमार गरवा किताबें बेचकर गुजारा करते थे. आज मोती की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. अपने किताबों के कारोबार के दौरान वह गूगल पर रोजगार के विकल्प तलाशने लगे. इस दौरान उनका ध्यान मोतियों की खेती की ओर गया. जिसके बाद उन्होंने इस खेती पर शोध किया और विवरण हासिल किया. वहीं, अपने शोध के दौरान उन्हें पता चला कि राजस्थान में इसकी खेती बहुत कम लोग करते हैं. जिसके बाद उन्होंने मोती की खेती करने का फैसला किया और अपने घर की छत से इसकी खेती करने लगे.

 

वसंत में मोती की खेती

समस्तीपुर (बिहार) के दलसिंहसराय के निवासी राज कुमार शर्मा ने अकाउंटेंट की नौकरी छोड़ 2017 में मोती की खेती शुरू की. लोग उनका मजाक उड़ाते थे. लेकिन कुछ नया करने की सोचकर उन्होंने भुवनेश्वर और जयपुर में ट्रेनिंग ली. आज वे एक बड़ी पानी की टंकी में सीप डालकर मोतियों की खेती करते हैं. वह दूसरों को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं.

राजकुमार का कहना है कि उन्होंने अपने दोस्त परनो कुमार के साथ मिलकर बालकीपुर गांव में पर्ल फाउंडेशन नाम से एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है, जहां मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पटना सहित अन्य जिलों और राज्यों के लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं. इनमें वे मजदूर भी शामिल हैं जो लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में नौकरी छोड़कर घर लौट आए हैं.

 

मोती की खेती कैसे करें?

भारत में मोती की खेती नई है लेकिन लोकप्रियता हासिल कर रही है. राष्ट्रीय बाजार हो या अंतरराष्ट्रीय बाजार, मोतियों की मांग हमेशा ज्यादा रहती है. समुद्र से प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले मोतियों की खेती लोगों को आकर्षित कर रही है. मोती उगाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम है. इसकी खेती के लिए कई संस्थाओं में सरकार द्वारा नि:शुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है.सरकार इसकी खेती के लिए आर्थिक सहायता भी देती है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह काम महज 25,000 से30,000 रुपये में शुरू किया जा सकता है. इसके लिए एक तालाब की जरूरत होती है जिसमें सीपों को पाला जा सके. एक सीप की कीमत 15 से 30 रुपये होती है. सीप आमतौर पर 3 साल की उम्र के बाद मोती बनना शुरू कर देते हैं. मोती तैयार होने में 14 से 20 महीने का समय लगता है.

मोती की कीमत क्या है?

500 वर्ग फुट के तालाब में करीब 100 सीपियां डालकर मोतियों की खेती शुरू की जा सकती है. एक मोती की कीमत 300 रुपये से 1,500 रुपये के बीच होती है. अच्छी क्वॉलिटी और डिजाइनर मोती अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10,000 रुपये तक में मिल जाते हैं. अगर एक मोती की कीमत 1000 रुपये है, तो भी आप 100 सीपियों से 1,00,000 रुपये तक कमा सकते हैं. सीप से कई सजावटी सामान बनाए जाते हैं. सीपों से इत्र का तेल भी निकाला जाता है. मोती निकालने के बाद आप स्थानीय बाजार में सीप बेचकर भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं.