मैंगोमैन कलीमुल्ला खां एक पेड़ पर उगाते हैं 300 किस्म के आम

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 12-04-2021
आम की खासियत बताते हुए मैंगोमैन कलीमुल्ला खां
आम की खासियत बताते हुए मैंगोमैन कलीमुल्ला खां

 

- उनके साथ कब्र में दफन न हो जाये ये हुनर, इसलिए लौटाना चाहते हैं पद्मश्री अवॉर्ड

मुकुंद मिश्र / लखनऊ

फलों में आम को राजा कहा गया है. अपने अनूठे स्वाद की वजह से आम में भी लखनऊ के मलीहाबादी यानी दशहरी आम की बादशाहत सदियों से कायम है. अपने इलाके के आम की मशहूरियत को चार चांद लगाने का काम मलीहाबाद के हाजी कलीमुल्ला खां करते आ रहे हैं. आम की पैदावार को लेकर उनका यह जुनून ही है कि वे एक ही पेड़ में 300किस्म के आम पैदा करने का कमाल कर सभी को हैरत में डालते आ रहे हैं. उनकी इस दीवानगी की वजह से लोगों ने कलीमुल्ला खां को मैंगोमैन नाम दे दिया है. बागवानी के क्षेत्र खासकर आम को लेकर उनके इस जुनून को राष्ट्रपति उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज चुके हैं.

यूपी की राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद में रहने वाले हाजी कलीमुल्ला खान ने आम की खेती को देश और दुनिया में एक अलग पहचान कायम की है. मलीहाबाद में कलीमुल्ला करीब 5 एकड़ जमीन पर आम की खेती का काम करते आ रहे हैं.

‘मैंगो मैन’ हाजी कलीमुल्लाह की बात करें, तो वे एक तरह के जादूगर हैं. एक ही आम के पेड़ पर 300 किस्म के आम पैदा करना यह बताता है कि कलीमुल्ला खां आम की बागवानी को लेकर किस कदर जुनून रखते हैं. कलीमुल्ला के हाथों के इस हुनर के कायल लोग तब हो जाते हैं, जब एक आम के पेड़ के फलों से अलग-अलग मिठास और लज्जत का लुत्फ लेते हैं.

मोदी आम, योगी आम, ऐश्वर्या आम, तेंदुलकर आम

कलीमुल्ला खां अक्सर अपने नये प्रयोग के साथ देश की नामी हस्तियों के नाम पर तैयार की गई आम किस्मों को लेकर चर्चा में रहते हैं. उनकी आम की किस्मों के नामों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अखिलेश यादव, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं.

हाजी कलीमुल्ला खां के बागवानी के हुनर के दिग्गज विशेषज्ञ तक कायल हैं. इस शख्स की तालीम की बात करें, तो वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. सातवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद फिर पढ़ने में ज्यादा दिल नहीं लगा और स्कूल व पढ़ाई से उनका नाता बस इतना ही है.

दरअसल, सातवीं जमात में फेल होने के बाद वे बेहद मायूस हो गये थे. उस समय कलीमुल्ला खां की मां उनकी झांसी में थीं, वे भी वहीं चले गए. 17दिन बाद झांसी से लौटे, तो नर्सरी के काम में जुट गए.

अपने पुश्तैनी काम में उनका मन लगा और बचपन से उनके दिमाग में कुछ खोज थी और वह सब अब तरह-तरह की आम की किस्मों के रूप में फल-फूल रही हैं.

दिमाग में पेड़ जिंदा रहा

हाजी कलीमुल्लाह खां बताते हैं कि एक दिन नर्सरी में काम करते समय उनके दिमाग में यह विचार कौंधा कि एक पेड़ में एक तरह के ही फल क्यों, अलग-अलग क्यों नहीं? उन्होंने सोचा कि क्यों न सात किस्म का एक पेड़ तैयार किया जाये?

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आमों के जादूगर हैं मैंगोमैन कलीमुल्ला खां

कलीमुल्ला खां ने बताया कि साल 1957-1958 में यह पेड़ तैयार किया गया. बाद में यह पेड़ सूख गया. 1960 में हुई तेज बारिश से वह पेड़ पूरी तरह खत्म हो गया.

वे कहते हैं कि पेड़ नष्ट हो गया, लेकिन उनके दिमाग में वह पेड़ बढ़ता चला जा रहा था.

कलीमुल्लाह खां ने आगे अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए यह कहा है कि उन्होंने आम का झौवा (टोकरी) सिर पर रखा, ट्रक में झिल्ली लगाई, बाग में जमीन में लेटे, आम की पेटियों पर लेटे, इतना सब करने के दौरान उनके हाथों में छाले भी पड़ गए. बावजूद इसके उनके मिजाज में सच्चाई और एक खोज करने की चाह थी. उनकी इसी चाहत का परिणाम आज दुनिया के सामने है.

हाजी कलीमुल्लाह खां कहते हैं, उन्होंने 1987 में जिस भी पेड़ पर ग्राफ्टिंग तकनीक से  काम करना शुरू किया था, उन सभी पर इस वक्त 300 से ज्यादा अलग-अलग किस्म के आम लगते है.

सरकार ने बचा लिए कुछ आम

वे बताते हैं कि मलीहाबाद क्षेत्र में सन 1919 के दौरान 1,300 किस्म के आम थे, लेकिन धीरे-धीरे सब लुप्त होते चले गए. हालांकि रेहमानखेड़ा में सेंट्रल गवर्नमेंट ने आम की वैरायटी में बहुत कुछ बचा लिया. वरना यह सब जितनी भी नायाब वैरायटी हैं, वह भी करीब-करीब लुप्त होने की कगार पर थीं.

उन्होंने यह भी बताया कि यह 300 वैरायटी वाला जो पेड़ है, इसमें एक महीने बाद देखेंगे, तो आपको 100 किस्मों के अलग-अलग तरह के आम दिखेंगे, जो मेरी मेहनत और मेरी लगन की वजह से हो पाया है.

देना चाहते हैं पद्मश्री

हाजी कलीमुल्लाह खां बहुत खुश रहते हैं और कुछ खफा भी रहते हैं. इसकी वजह का खुलासा वे बड़ी बेबाकी के साथ खुलासा करते हैं कि पद्मश्री से जरूर खुश हूं, लेकिन उनकी जो यह योग्यता है, वह उनसे ले ली जाये.

उन्होंने कहा कि कोई ऐसा व्यक्ति जो सरकार में हो, जिसके लिए वह पद्मश्री अवार्ड वापस राष्ट्रपति को दे दें, क्योंकि यह उनके साथ उनकी कब्र में चला जाएगा. वह चाहते हैं कि उनकी दिन-रात की जो मेहनत है, उसका फायदा पूरे मुल्क को हो और कोई ऐसा आदमी उनको मिले, जिसको वह अपनी यह योग्यता दे सकें, ताकि आम की किस्मो का यह सिलसिला उनके बाद भी चलता रहे और पूरे देश को इसका फायदा हो सके.