आर्थिक सर्वेक्षणः किसान आंदोलन के बावजूद कोरोना की मार से उबरने में कृषि बनेगा सहारा

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 30-01-2021
आर्थिक सर्वेक्षणः किसान आंदोलन के बावजूद कोरोना की मार से उबरने में कृषि बनेगा सहारा
आर्थिक सर्वेक्षणः किसान आंदोलन के बावजूद कोरोना की मार से उबरने में कृषि बनेगा सहारा

 

 
नई दिल्ली. हालांकि किसान कृषि कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं और कुछ मायने में खेती-किसानी प्रभावित भी है. इसके बावजूद सरकार को उम्मीद है कि जल्द स्थिति सामान्य होगी और कृृषकों की वजह से कोरान संक्रमण मंे बेपटरी हुई अर्थव्यस्था को जबर्दस्त बल मिलेगा. देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना की मार से उबारने में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र कारगर साबित होंगे. केंद्र सरकार द्वारा पेश आर्थिक समीक्षा में इसका खुलासा गया गया है. 
 
 आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, कृषि क्षेत्र ने कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के समय में भी अपनी उपयोगिता और लचीलेपन को साबित किया है. कृषि क्षेत्र और संबंधित गतिविधियों ने वर्ष 2020-21 (पहला अग्रिम अनुमान) के दौरान स्थिर मूल्यों पर 3.4 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की. राष्ट्रीय आय से संबंधित आंकड़ों के आधार पर आर्थिक समीक्षा के अनुसार 2019-20 में देश के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में कृषि और संबंधित गतिविधियों का योगदान 17.8 फीसदी रहा.
 
 
वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत का कृषि और संबंधित वस्तु निर्यात लगभग 252 हजार करोड़ रुपये का हुआ. कृषि आधारित और संबंधित वस्तुओं के निर्यात में भारत की स्थिति विश्व स्तर पर अग्रणी रही है. इस क्षेत्र में विश्व का लगभग 2.5 प्रतिशत निर्यात भारत से ही किया जाता है.
 
आर्थिक समीक्षा के जरूरी बिंदू
 
  1. - 2018-19 के बजट में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की वास्तविक लागत का डेढ़ गुना रखने की घोषणा की गई थी. - 2020-21 सत्र में खरीफ और रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है.
  2. - तीन नए कानूनों को छोटे और सीमांत किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है.
  3. - वर्ष 2019-20 में 13 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कृषि ऋण निर्धारित किया गया था, जबकि किसानों को 13,92,469.81 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया, जो निर्धारित सीमा से अधिक था
  4. - 2020-21 में 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था. 30 नवंबर, 2020 तक 9,73,517.80 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को उपलब्ध कराया गया
  5. -प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में डेढ़ करोड़ दुग्ध डेयरी उत्पादकों और दुग्ध निर्माता कंपनियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था
  6. - मध्य जनवरी, 2021 तक कुल 44,673 किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) मछुआरों और मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराए गए
  7. -प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत 12 जनवरी, 2021 तक 90 हजार करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया
  8. - आधार की वजह से किसानों को तेजी से भुगतान हुआ 
  9. -कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद 70 लाख किसानों को योजना का लाभ मिला. लाभार्थियों के बैंक खातों में 8741.30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया 
  10. -प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत नवंबर 2020 तक प्रतिव्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न देने की व्यवस्था के तहत 80.96 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया
  11. - इस दौरान 75000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 200 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा अनाज का वितरण किया गया
  12. - 2018-19 तक बीते पांच वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (एफपीआई) क्षेत्र में औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) पर 9.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है
  13. - 2011-12 से कृषि क्षेत्र में यह बढ़ोतरी 3.12 प्रतिशत रही. विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 8.25 प्रतिशत